कनार्टक में अब कांग्रेस सत्ता पर काबिज है लेकिन राज्य की 28 में 25 लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। सूत्रों का कहना है कि इन सीटों को दोबारा से हासिल करने के लिए भाजपा कम से कम एक दर्जन पुराने चेहरों को बदलने वाली है।
भाजपा ने अपनी खास रणनीति के तहत इस बार कुछ केंद्रीय मंत्रियों को संसदीय चुनाव लड़ाने की योजना भी बनाई है। इसमें केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और एस जयशंकर का नाम सबसे ऊपर है। भाजपा के सूत्रों का कहना है कि दोनों को ही भाजपा कर्नाटक में चुनावी मैदान में उतार सकती हैं। हालांकि अभी यह तय नहीं हुआ है कि वे दोनों किन सीटों से चुनाव लड़ेंगे।
कई सांसद नहीं लड़ना चाहते चुनाव इसी बीच कई मौजूदा सांसदों ने अलग-अलग कारणों से चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा भी प्रकट कर दी है। पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद सदानंद गौड़ा सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि वे अब चुनाव नहीं लडे़ंगे। जी एम सिद्धेश्वर (72), रमेश जिंगजिंगानी (72) अधिक उम्र के कारण संभवत चुनाव नहीं लडे़ंगे। वहीं अनंत हेगड़े ने स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का हवाला दिया है।
इनके अलावा शिवकुमार उदासी निजी कारणों से चुनाव नहीं लड़ना चाहते। इसके अलावा बी. एन. बच्चे गौड़ा (82), मंगला अंगाडी, जी. एस.
बसवराज, वी. श्रीनिवास प्रसाद और वाय देवेंद्रप्पा जैसे सांसदों की चुनाव लड़ने की संभावना भी कम ही जताई जा रही है। सत्ता में आने के बाद कांग्रेस को काफी उम्मीद राजनीतिक की जानकारों की मानें तो कर्नाटक में मतदाता पारंपरिक रूप से राज्य और राष्ट्रीय चुनावों में अलग-अलग पार्टियों को चुनते हैं। भाजपा 2018 के विधानसभा चुनावों में सत्ता पर काबिज हुई थी।
हालांकि 104 सीटों के साथ वह बहुमत से चूक गई थी। विधानसभा चुनाव में भाजपा का कर्नाटक में वोट शेयर 36 फीसदी था। वहीं 2019 हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी का वोट शेयर 54 फीसदी रहा था और भाजपा ने 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी। उधर दूसरी ओर मई 2023 में हुए विधानसभा चुनावों में कर्नाटक में कांग्रेस का वोट शेयर 2018 के 38.1 फीसदी के मुकाबले इस बार बढ़कर 42.8 फीसदी हो गया है। इसलिए कांग्रेस को भी लोकसभा चुनाव में काफी अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है।
दक्षिण भारत में 130 में से भाजपा के पास है 29 सांसद दक्षिण भारत के तहत आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और तेलंगाना राज्य आते हैं। इन 6 राज्यों में लोकसभा की कुल 130 सीटें हैं। दक्षिण भारत की 130 में से भाजपा के पास 22 फीसदी यानी की सिर्फ 29 लोकसभा सीटें हैं। 2019 में कर्नाटक में भाजपा ने 28 लोकसभा सीटों में से 25 सीटों पर जीत हासिल की थी।
2019 में तेलंगाना की 17 सीटों में से भगवा पार्टी को सिर्फ 4 सीटें मिली थीं। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल में भाजपा के पास एक भी लोकसभा सीट नहीं है। इतना ही नहीं आंध्र प्रदेश और केरल में पार्टी के पास एक भी विधायक नहीं है। पी.एम. मोदी खुद कर रहे हैं दौरे भाजपा अपने 400 पार के टारगेट को पूरा करने के लिए दक्षिण भारत पर फोकस कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद दक्षिण भारत के कई दौरे कर चुके हैं। इस साल की शुरुआत में ही पीएम मोदी ने तमिलनाडु, केरला और केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप का दौरा किया था और लोगों को करोड़ों रुपए की योजनाओं की सौगात दी थी। जानकारों का कहना है कि दक्षिण भारत में 130 लोकसभा सीटों में से काफी सीटें हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित करने के बाद ही भाजपा ने चुनावों में 400 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा किया है। अयोध्या में प्राणप्रतिष्ठा से ठीक 6 दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के आंध्र प्रदेश और केरल पर रहे हैं। इसके अलावा बीते साल दिल्ली में संसद के नए भवन का उद्घाटन के दौरान सेंगोल को स्थापित किया था। इस दौरान देश के गृह मंत्री अमित शाह का दावा किया था कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 14 अगस्त 1947 को तमिल पुजारियों के हाथों सेंगोल स्वीकार किया था। जानकारों का मानना है कि यह दक्षिण भारत भाजपा की रणनीति का एक हिस्सा है।