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छत्‍तीसगढ़ में आयुष्मान भारत योजना में मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से निजी अस्पतालों की संख्या बढ़ाने की तैयारी…

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छत्‍तीसगढ़ में आयुष्मान भारत योजना में मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से निजी अस्पतालों की संख्या बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। निजी अस्पताल संचालकों से लगातार बातचीत जारी है।

”छत्‍तीसगढ़ में आयुष्मान भारत योजना में मरीजों की संख्या बढ़ी प्रदेश में 553 निजी चिकित्सालय योजना के अंतर्गत पंजीकृत”

छत्‍तीसगढ़ में आयुष्मान भारत योजना में मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से निजी अस्पतालों की संख्या बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। निजी अस्पताल संचालकों से लगातार बातचीत जारी है।

योजना से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश के प्रत्येक जिले में रहने वाले पात्र परिवारों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है। उसके तहत आयुष्मान योजना में मरीजों की सुविधा के लिए अस्पतालों की संख्या बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का प्रदेश में क्रियान्वयन के लिए राशनकार्ड धारी 2.10 करोड़ से अधिक लोगों का आयुष्मान कार्ड बनाया जा चुका है। बाकी लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाने का कार्य चल रहा है। प्रदेश के सभी शासकीय अस्पतालों के अलावा 553 निजी चिकित्सालय योजना के अंतर्गत पंजीकृत है।

वित्तीय वर्ष 2023-24 में 10.92 लाख हितग्राहियों ने शासकीय अस्पतालों में योजना का लाभ लिया है। निजी अस्पताल में 4.73 लाख लोगों ने योजना का लाभ उठाया है। आयुष्मान योजना के अंतर्गत पंजीकृत अस्पतालों में निर्धारित हेल्थ पैकेज के अनुसार समुचित इलाज की मानिटरिंग सुनिश्चित करने के लिए राज्य नोडल एजेंसी के द्वारा नियमित निगरानी की जाती है। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 1500 से भी अधिक बीमारियों को शामिल किया गया है।

प्रदेश में किसी व्यक्ति के पास आयुष्मान कार्ड नही है तो शासकीय और पंजीकृत अस्पतालों में राशनकार्ड से निश्शुल्क इलाज किया जाता है। अस्पतालों में राशन कार्ड से तत्काल आयुष्मान कार्ड बन जाता है।

आयुष्मान योजना के नोडल अधिकारी डा. खेमराज सोनवानी ने कहा, स्वास्थ्य विभाग का प्रयास पात्र परिवारों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है। उसके तहत आयुष्मान योजना में मरीजों की सुविधा के लिए अस्पतालों की संख्या बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। निजी अस्पताल संचालकों से इसे लेकर लगातर बातचीत की जाती है।