”रायबरेली लोकसभा सीट से करीब 4 लाख मतों से जीते राहुल गांधी”
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में इस बार अप्रत्याशित परिणाम सामने आया है और केंद्र तथा राज्य में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी को जोर का झटका लगा है. जबकि साल 2017 के बाद फिर से मिलकर चुनावी मैदान में उतरे समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को इस बार शानदार जीत हाथ लगी है.
ये दोनों दल इस बार इंडिया गठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़े और 80 में से 43 सीटों पर जीत हासिल की है, इसमें सबसे अहम सीटों में से एक सीट है रायबरेली. इस सीट से पहली बार अपनी किस्मत आजमा रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बड़ी जीत मिली है.
लोकसभा चुनाव के लिए पर्चा दाखिल के अंतिम दौर में राहुल गांधी को उत्तर प्रदेश में अमेठी सीट की जगह रायबरेली सीट से मैदान में उतारने का फैसला लिया गया. कांग्रेस का यह फैसला काम कर गया और राहुल गांधी को यहां पर आसान जीत मिल गई. राहुल ने 6,87,649 वोट हासिल किया तो उनके प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी के दिनेश प्रताप सिंह को 2,97,619 वोट आए. मतगणना शुरू होने के साथ ही लगातार बढ़त बनाए रखने वाले राहुल गांधी ने अंत में 3,90,030 मतों के अंतर से चुनाव में जीत हासिल कर लिया. वह लगातार पांचवीं बार सांसद चुने गए हैं. वह वायनाड से भी चुनाव जीत गए हैं.
मां सोनिया ने बेटे के लिए छोड़ी सीट
राहुल गांधी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 2004 से की. इस दौरान उन्होंने पहली बार अमेठी लोकसभा सीट से चुनावी किस्मत आजमाई थी. साल 2004 में उनकी मां सोनिया गांधी ने बेटे के लिए अमेठी छोड़ दी. तब के चुनाव में उन्हें पहली बार जीत मिली. फिर वह 2009 और 2014 के चुनाव में भी विजयी हुए. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में तो राहुल ने अमेठी सीट से ही बीजेपी नेता स्मृति इरानी को हराया था.
हालांकि 2019 के चुनाव में एक बार फिर दोनों के बीच कड़ा मुकाबला हुआ, लेकिन इस बार यह लड़ाई बेहद कांटे की रही और अंत तक चले संघर्ष में उन्हें स्मृति इरानी के हाथों हार मिली. राहुल ने अमेठी के साथ-साथ केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ा था और वहां पर 4,31,770 मतों के अंतर से सीपीआई के प्रत्याशी पीपी सुनीर को हरा दिया. इस तरह से वह लगातार चौथी बार सांसद चुने गए.
2019 की तरह 2024 में भी 2 जगह
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी का जन्म 19 जून 1970 को हुआ था. 2019 की तरह इस बार भी वह 2 सीटों पर चुनाव मैदान में उतरे. रायबरेली के अलावा वायनाड सीट से भी अपनी किस्मत आजमाई. राहुल को यहां पर भी खास चुनौती नहीं मिली और वह आसान मुकाबले में चुनाव जीत गए.
हालांकि 2019 के चुनाव में राहुल को वायनाड सीट से 7,06,367 वोट मिले थे और वह 4,31,770 मतों के अंतर से जीत मिली थी. लेकिन इस बार न सिर्फ उनका वोट प्रतिशत घटा बल्कि जीत का अंतर भी कम हो गया. राहुल को कुल 6,47,445 वोट मिले और उन्होंने सीपीआई की प्रत्याशी एन्नी राजा को 3,64,422 मतों के अंतर से हराया. यहां पर बीजेपी का प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहा और उन्हें 1,41,045 वोट मिले.
देहरादून से हुई शुरुआती शिक्षा
राहुल 2019 से लेकर 2024 तक वायनाड सीट से सांसद रहे. वह दिसंबर 2017 से जुलाई 2019 तक कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे थे. तब के आम चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
दिल्ली में पैदा हुए राहुल गांधी की शुरुआती शिक्षा देहरादून में हुई. इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी चले गए. लेकिन इस बीच उनके पिता राजीव गांधी की हत्या के बाद सुरक्षा वजहों से वह फ्लोरिडा चले गए और रोलिंस कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की. वह अविवाहित हैं.
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद राहुल ने लंदन में एक कंपनी में नौकरी भी की. बाद में वह स्वदेश लौट आए और मुंबई में आईटी फर्म का गठन किया. फिर कुछ समय बदराहुल गांधी साल 2004 में राजनीति में आए और पहली बार 14वें आम चुनाव में अमेठी से सांसद बने. 2017 में वह मां सोनिया गांधी के बाद कांग्रेस पार्टी के नेता बने और 2019 के भारतीय आम चुनाव में पार्टी का नेतृत्व किया. इस दौरान कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन बदतर रहा. इस चुनाव में खुद राहुल गांधी भी अपनी परंपरागत सीट अमेठी हार गए. ऐसे में राहुल गांधी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
देशभर में निकाली भारत जोड़ो यात्रा
राहुल गांधी अपने भाषणों में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर लगातार हमला करते रहे हैं. उनके भाषणों में बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दे रहे हैं. राहुल गांधी पर नेशनल हेराल्ड केस में वित्तीय अनियमितता करने के आरोप भी लगे. उनसे इस में केंद्रीय एजेंसियों ने पूछताछ भी की. पिछले साल गुजरात की एक अदालत ने अप्रैल 2019 के चुनाव प्रचार के दौरान मोदी सरनेम को लेकर की गई टिप्पणी पर 2 साल के कारावास की सजा सुनाई थी. कोर्ट के इस फैसले के बाद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द हो गई थी. लेकिन हाईकोर्ट की ओर से निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया गया.
राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा को लेकर भी सुर्खियों में रहे. 7 सितंबर 2022 को राहुल ने तमिलनाडु के कन्याकुमारी शहर से यह यात्रा शुरू की थी लोगों से संवाद करते और रैलियों को संबोधित करते हुए कश्मीर तक पैदल गए. कई महीनों तक चली उनकी यह यात्रा 29 जनवरी 2023 को लाल चौक श्रीनगर में संपन्न हुई. साल 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने भारत जोड़ो न्याय यात्रा के नाम से एक और यात्रा शुरू की.