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Adani Hindenburg : अडानी का विरोध, हिंडनबर्ग को सपोर्ट! भारत में रहकर चीन को फायदा पहुंचाने वाले कौन?

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Adani Hindenburg : अडानी का विरोध, हिंडनबर्ग को सपोर्ट! भारत में रहकर चीन को फायदा पहुंचाने वाले कौन?

हिंडनबर्ग रिसर्च को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की ओर से 25 जनवरी, 2023 को उसकी रिपोर्ट के प्रकाशन से ठीक पहले और बाद में अडानी एंटरप्राइजेज के शेयरों की कथित शॉर्टिंग को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी होने के बाद इस मामले की नई-नई परतें खुलने लगी हैं।

सेबी ने कहा है, ‘शोध सेवाएं उपलब्ध करने के बदले में हिंडेनबर्ग को अडानी एंटरप्राइजेज की प्रतिभूतियों में व्यापार (अप्रत्याशित बिकवाली) के परिणामस्वरूप अर्जित लाभ (जिस प्रतिद्वंद्वी कंपनी को फायदा हुआ) से भुगतान किया गया।’

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने भारतीय व्यापार जगत में मचाया था हाहाकार

हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने के बाद 24 जनवरी, 2023 से लेकर 22 फरवरी, 2023 के बीच अडानी एंटरप्राइजेज के शेयरों की कीमतें करीब 60% गिर गईं और इससे भारतीय कंपनियों में हाहाकार सा मच गया था।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की वजह से भारतीय राजनीति में मची थी खलबली

इस मुद्दे पर भारतीय राजनीति में भी कोहराम मच गया था। खासकर कांग्रेस को मोदी सरकार के खिलाफ अडानी वाले उसके हमले को और धार देने का मौका मिल गया और उसने इसका भरपूर सियासी लाभ लेने की कोशिश भी की थी।

वरिष्ठ वकील ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को जोड़ा है चीन से कनेक्शन

अब वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने कई सारे तथ्यों के आधार पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के कथित तौर पर ‘चीनी कनेक्शन’ की ओर इशारा किया है, ताकि इसका फायदा उठाकर अडानी ग्रुप को घुटनों पर लाया जा सके।

सेबी ने जो खुलासा किया है, उसके मुताबिक एक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक किंग्डम कैपिटल मैनेजमेंट एलएलसी ने अडानी ग्रुप को टारगेट करने के लिए परोक्ष रूप से मदद की थी।

जेठमलानी ने कांग्रेस और राहुल गांधी को कहा चीन का ‘संविदा एजेंट’

जेठमलानी ने अडानी ग्रुप के खिलाफ इस कथित अंतराष्ट्रीय साजिश में चीन के हाथ होने की ओर तो इशारा किया ही है, कुछ ऐसे तथ्यों की ओर संकेत दिया है, जिससे भारतीय राजनीति में भूचाल आ सकता है।

उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी महासचिव जयराम रमेश के इस साल जनवरी के एक एक्स पोस्ट को रिट्वीट करते हुए आरोप लगाया है, ‘कुल मिलाकर राहुल गांधी और उनके उस्ताद जयराम चीन के रणनीतिक हितों को बढ़ावा देने और भारत के भू-राजनीतिक लक्ष्यों की पूर्ति करने वाले भारतीय कॉरपोरेट्स को नुकसान पहुंचाने के एक संविदा एजेंट (यदि मैं गलत हूं तो आइए जयराम इस एमओयू को सार्वजनिक डोमेन में रखें) हैं।’

चीन को फायदा पहुंचाने के लिए अडानी ग्रुप पर निशाना बनाने का आरोप

वे लिखते हैं, ‘जयराम रमेश एक बहुत ही झूठे आदमी हैं। अडानी ग्रुप पर कांग्रेस का हमला ‘क्रोनी कैपिटलिज्म’ पर हमला नहीं था, बल्कि एक भारतीय मल्टीनेशनल कंपनी को कमजोर करने का अभियान था, जिसने अपनी योग्यता के दम पर चीन की वैश्विक पहुंच को सफलतापूर्वक नाकाम कर दिया था।’

अडानी ग्रुप ने चीन को कहां-कहां हराया?

इसके लिए उन्होंने अडानी ग्रुप के श्रीलंका के जाफना के पास चीन को पीछे छोड़ कोयला प्रोजेक्ट का ठेका हासिल करने, ऑस्ट्रेलिया के गैलीली बेसिन में अडानी की अपनी कोयला परियोजना के पास चाइना स्टोन प्रोजेक्ट को अव्यवहारिक बना देने और इजरायल के हाइफा में बंदरगाह की खरीद में चीन को पछाड़ देने का उदाहरण रखा है।

भारत की कमर तोड़ने की अंतरराष्ट्रीय साजिश?

हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर सेबी की ओर से जो खुलासे किए गए हैं, वह निश्चित तौर पर बहुत ही गंभीर हैं। क्योंकि, इसमें भारत को आर्थिक तौर पर कमर तोड़ने की एक बहुत ही सोची-समझी अंतरराष्ट्रीय साजिश महसूस हो रही है। खासकर इसलिए, क्योंकि सेबी की छानबीन में तथ्यात्मक साक्ष्य सामने आने के बाद भी कथित भारत-विरोधी एक ग्लोबल लॉबी ने उसके लिए लामबंदी की कोशिशें शुरू कर दी हैं।

ऐसे में महेश जेठमलानी ने जो मुद्दे उठाए हैं, वह तो और भी सनसनीखेज हैं और यह देखने वाली बात होगी कि यह मुद्दा आगे किस तरह का रंग लेता है। क्योंकि, ये सारी चीजें तफ्तीश के दायरे में होनी चाहिए।