13 अक्टूबर, 1935 का वह दिन, जब बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने हिंदू धर्म का त्याग करने का ऐलान कर दिया। महाराष्ट्र के नासिक में एक छोटे से शहर येओला में एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने घोषणा की, मैं खुद को हिंदू कहने वाले व्यक्ति के रूप में नहीं मरूंगा! उन्होंने अपने समर्थकों के बीच कहा कि मैं हिंदू धर्म का त्याग करने जा रहा हूं। आंबेडकर का कहना था, मुझे वह धर्म पसंद है जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है, क्योंकि एक व्यक्ति के विकास के लिए तीन चीजों की आवश्यकता होती है जो करुणा, समानता और स्वतंत्रता है। धर्म मनुष्य के लिए है न कि मनुष्य धर्म के लिए। उनके मतानुसार जाति प्रथा के चलते हिंदू धर्म में इन तीनों का ही अभाव था। बाद में आंबेडकर ने 3.65 लाख समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया। आंबेडकर जयंती पर जानते हैं उनकी कहानी।