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क्वाड में दिखेगी भारत की धाक……सम्मेलन की मेजबानी कर दिखाएगा दम, ट्रंप के टैरिफ वॉर का मिलेगा माकूल जवाब

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जापान दौरे के दौरान जारी संयुक्त बयान में इस साल के अंत में भारत में होने वाले क्वाड लीडर्स सम्मेलन का औपचारिक ऐलान हुआ. ऑस्ट्रेलिया जापान और अमेरिका के साथ क्वाड के चारों बड़े नेता भारत की मेजबानी में एक मंच पर जुटेंगे. कूटनीतिक हलकों में इसे भारत की बढ़ती ताकत और नेतृत्व क्षमता का बड़ा संकेत माना जा रहा है. इस सम्मेलन पर नजरें खास तौर पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी पर होंगी, क्योंकि उनके कार्यकाल में शुरू हुआ “टैरिफ वॉर” क्वाड की चर्चा को और अहम बना देता है.
भारत पहली बार इतने बड़े पैमाने पर क्वाड लीडर्स समिट की मेजबानी कर रहा है. संयुक्त बयान में भारत और जापान दोनों ने कहा कि क्वाड अब सिर्फ एक बातचीत का मंच नहीं बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता का अहम स्तंभ बन चुका है. मोदी और जापानी प्रधानमंत्री ने साफ संकेत दिया कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र की राजनीति और सुरक्षा में भारत की भूमिका अब निर्णायक है.

हिंद-प्रशांत में भारत का बढ़ता दबदबा
दोनों प्रधानमंत्रियों ने “स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत” की अवधारणा को मजबूत करने का संकल्प दोहराया. भारत और जापान का मानना है कि इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता तभी संभव है जब समुद्री मार्ग सुरक्षित रहें और किसी भी तरह की एकतरफा आक्रामक कार्रवाई को रोका जाए. यही वजह है कि इस सम्मेलन से भारत के कूटनीतिक दबदबे में और बढ़ोतरी होगी.

ट्रंप की मौजूदगी और टैरिफ वॉर की गूंज
क्वाड लीडर्स सम्मेलन में अमेरिका का प्रतिनिधित्व डोनाल्ड ट्रंप करेंगे. ट्रंप के कार्यकाल के दौरान भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ वॉर ने कई बार दोनों देशों के रिश्तों में खटास पैदा की थी. ऐसे में भारत में होने वाला यह सम्मेलन उन आर्थिक मतभेदों को पीछे छोड़कर नई रणनीतिक एकजुटता दिखाने का अवसर माना जा रहा है. ट्रंप की मौजूदगी इस बात का संकेत भी होगी कि क्वाड मंच पर अमेरिका और भारत फिर से व्यापारिक और रणनीतिक मोर्चे पर एक मजबूत साझेदारी की दिशा में बढ़ रहे हैं.
चीन पर साझा सख्ती
भारत और जापान ने संयुक्त बयान में दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर की स्थिति को लेकर गहरी चिंता जताई. दोनों नेताओं ने कहा कि कोई भी कदम जो नौवहन की स्वतंत्रता या उड़ान की सुरक्षा को प्रभावित करे, उसे स्वीकार नहीं किया जाएगा. खासतौर पर विवादित क्षेत्रों के सैन्यीकरण को लेकर दोनों देशों ने मिलकर चीन को अप्रत्यक्ष संदेश दिया.
क्षेत्रीय विकास के एजेंडे पर भी जोर
सम्मेलन में केवल सुरक्षा और रणनीति ही नहीं, बल्कि आर्थिक विकास और समृद्धि भी मुख्य एजेंडे में रहेगा. भारत और जापान ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों को ठोस लाभ पहुंचाने के लिए व्यावहारिक प्रोजेक्ट्स शुरू करना जरूरी है. इससे न सिर्फ व्यापारिक गतिविधियां बढ़ेंगी बल्कि भारत को एक कूटनीतिक लीडर के रूप में और मान्यता मिलेगी.
भारत की साख को मिलेगा नया आयाम
भारत की मेजबानी में होने वाला यह सम्मेलन न केवल क्वाड देशों के बीच सहयोग को मजबूत करेगा बल्कि यह संदेश भी देगा कि नई दिल्ली अब वैश्विक राजनीति के केंद्र में है. सुरक्षा, रणनीति और आर्थिक सहयोग तीनों मोर्चों पर भारत की सक्रियता इंडो-पैसिफिक को नई दिशा देगी. यही वजह है कि कूटनीतिक हलकों में इसे भारत की धाक जमाने का मंच माना जा रहा है.

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