”जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश”
करीब 9 हजार गांव डूब गए हैं। ज्यादातर नदियां खतरे के निशान को पार कर चुकी हैं। वहीं मौसम विभाग ने एक डराने वाली भविष्यवाणी की है।
IMD का कहना है कि मॉनसून टफ और पश्चिमी विक्षोभ के टकराव से आने वाले समय में बारिश की गतिविधियां तेज हो जाएंगी। इससे जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश की संभावना है। साथ ही नदियों में बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाएं भी तेज हो सकती हैं।
नदियां मचाएंगी तबाही मौसम विभाग ने कहा, 1 सितंबर से उत्तराखंड के कई इलाकों में भारी बारिश की संभावना है। हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में दो सितंबर को मूसलाधार बारिश हो सकती है। अगले तीन से चार दिन पहाड़ी इलाकों के लिए बेहद गंभीर हैं। वैसे तो उत्तर भारत में सर्दियों के समय में पश्चिमी विक्षोभ ज्यादा ऐक्टिव रहते हैं। वहीं मॉनसून सिस्टम में पश्चिमी विक्षोभ के टकराव से गंभीर स्थिति पैदा होने का खतरा रहता है।
मौसम विभाग के डायरेक्टर मृत्युंजय मोहापात्रा ने कहा कि उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में अगस्त में हुई मूसलाधार बारिश के पीछे भी यही वजह थी। उत्तराखंड के धराली, जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ और हिमाचल के मंडी में आपदा के पीछे भी यही कारण हो सकते हैं।
देहरादून समेत इन जिलों में रेड अलर्ट देहरादून के सीनयर मौसम वैज्ञनिक रोहित थपलियाल ने कहा, अगले 48 घंटे उत्तराखंड के लिए बेहद संवेदनशील हैं। दोनों सिस्टम के टकराने की वजह से भारी बारिश का अनुमान है। ऐसे में देहरादून में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है। इसके अलावा टेहरी, पौड़ी, हरिद्वार, चंपावत, नैनीताल, बागेश्वर और उधम सिंह नगर में भी रेड अलर्ट जारी है।
फिलहाल मॉनसून टफ दक्षिण में अपनी सामान्य गति पर है। वहीं पश्चिमी विक्षोभ चक्रवातीय परिसंचरण के रूप में उत्तरी पाकिस्तान और पंजाब पर बना हुआ है। इसके अलावा राजस्थान, मध्य प्रदेश पर सर्कुलेशन की वजह से अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से ज्यादा नमी हिमायल की ओर बढ़ रही है। इसी वजह से हिमालय के आसपास के इलाकों में भारिश बारिश हो रही है। मोहापात्रा ने कहा कि अगस्त महीने में उत्तर-पश्चिम में 2001 के बाद सबसे ज्यादा बारिश हुई है। वहीं सितंबर में भी बारिश जारी रहने का ही अनुमान है।