बिहार में चुनाव से पहले सीटों को लेकर महागठबंधन के घटक दलों के बीच मतभेद अब सतह पर है। यूं तो महागठबंधन में शामिल लगभग सभी दलों ने उन विधानसभा सीटों का ऐलान कर दिया है जहां वो इस बार ताल ठोक रहे हैं।
इनमें राजद ने सबसे ज्यादा 143 उम्मीदवारों का ऐलान किया है।
इसके बाद कांग्रेस ने 62 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। माले 20 सीट जबकि मुकेश सहनी के नेतृत्व वाली पार्टी वीआईपी ने 14 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। हालांकि कई ऐसी विधानसभा सीटें भी हैं जहां महागठबंधन में शामिल घटक दलों के प्रत्याशी एक-दूसरे के खिलाफ ही ताल ठोक रहे हैं।
इन 8 सीटों पर फ्रेंडली फाइट है-
बछवाड़ा से सीपीआई के अवधेश राय और कांग्रेस के गरीब दास
चैनपुर से वीआईपी के गोविंद बिंद और आरजेडी के बृज किशोर बिंद
नरकटियागंज से राजद के दीपक यादव और कांग्रेस के शाश्वत केदार पांडेय<
लालगंज में राजद की शिवानी शुक्ला और कांग्रेस के आदित्य कुमार राजा
वैशाली से राजद के अजय कुशवाहा और कांग्रेस के ई. संजीव सिंह
सुल्तानगंज से राजद के चंदन सिन्हा और कांग्रेस के ललन यादव
कहलगांव से राजद के रजनीश भारती और कांग्रेस के प्रवीण सिंह कुशवाहा
सिकंदरा से राजद के उदय नारायण चौधरी और कांग्रेस के विनोद चौधरी
इस बीच राजद ने कांग्रेस से सीधा टकराव टालने की कोशिश की और बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार राम के खिलाफ कुटुंबा (आरक्षित) से प्रत्याशी नहीं उतारा। हालांकि, पार्टी के उम्मीदवार लालगंज, वैशाली और कहलगांव में कांग्रेस प्रत्याशियों के खिलाफ मैदान में हैं।
इससे पहले तारापुर सीट पर राजद का पूर्व मंत्री मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) से आमना-सामना होने की संभावना थी, जहां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को उतारा है। हालांकि, वीआईपी ने अपने उम्मीदवार सकलदेव बिंद को समर्थन देने से इनकार किया, जिसके बाद उन्होंने नाराज होकर नामांकन वापस ले लिया और चौधरी की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गए।
इधर निर्वाचन आयोग के अनुसार, पहले चरण के चुनाव के लिए कुल 1,314 उम्मीदवार मैदान में हैं। 243 सदस्यीय विधानसभा की 121 सीटों पर छह नवंबर को मतदान होना है। इस चरण में नामांकन पत्रों की जांच के बाद 300 से अधिक प्रत्याशियों के पर्चे खारिज किए गए और 61 प्रत्याशियों ने नाम वापस ले लिए।