भारत के उपराष्ट्रपति पद से हाल ही में जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दिया है. जगदीप धनखड़ ने यह इस्तीफा स्वास्थ्य कारणों से दिया है. लेकिन इस्तीफा देने के बावजूद भी जगदीप धनखड़ की पेंशन के रूप में मिलने वाली सैलरी उपराष्ट्रपति की मिलने वाली सैलरी से ज्यादा होगी. बता दें कि भारत में उच्च पदों पर रहने वाले राजनेताओं और अधिकारियों को वेतन और भत्तों के रूप में भारी भरकम राशि मिलती है, लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्हें मिलने वाली सुविधाओं का सिलसिला थमता नहीं है. उपराष्ट्रपति का पद छोड़ने वाले जगदीप धनखड़ भी अब एक साथ कई तरह की पेंशन और भत्तों के हकदार हो गए हैं, जो व्यवस्था द्वारा ही तय की गई है.
जब तक जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति के पद पर थे, तब तक उन्हें हर महीने 4 लाख रुपये का वेतन मिलता था. भारतीय संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का कोई तय वेतन नहीं होता है, बल्कि वे राज्यसभा के सभापति के रूप में यह वेतन प्राप्त करते हैं. इस वेतन के अलावा, उन्हें कई भत्ते भी मिलते थे. लेकिन अब जब उन्होंने पद छोड़ दिया है तो उन्हें कई सेवानिवृत्ति लाभ मिलेंगे, जो उनकी पिछली भूमिकाओं के कारण एक साथ जुड़ते चले जाएंगे.
जगदीप धनखड़ को पूर्व उपराष्ट्रपति के तौर पर हर महीने 2 लाख रुपये की पेंशन मिलेगी. लेकिन यहीं पर सुविधाओं की सूची खत्म नहीं होती. वे एक पूर्व सांसद भी हैं, जिसके लिए उन्हें हर महीने 45,000 रुपये की पेंशन मिलेगी. इसके अलावा, राजस्थान के एक पूर्व विधायक के तौर पर वे हर महीने 42,000 रुपये के हकदार होंगे, जिसके लिए उन्होंहने हाल ही आवेदन दिया है. पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल के रूप में उन्हें 25,000 रुपये की मासिक पेंशन मिलेगी. इस तरह से उन्हें हर महीने पेंशन के रूप में कुल 3,12,000 रुपये मिलेंगे.
क्या सुविधाएं मिलेंगी?
पेंशन के अलावा, उन्हें कई अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी, जो उनके पद के अनुरूप हैं. एक पूर्व उपराष्ट्रपति के रूप में उन्हें टाइप 8 का शानदार बंगला मिलेगा, जिसे सरकार द्वारा बनाए रखा जाएगा. उन्हें एक सरकारी कार और सुरक्षा भी मिलेगा, जो जेड या जेड प्लस कैटेगिरी का हो सकता है. साथ ही उनके लिए व्यक्तिगत स्टाफ की व्यवस्था भी की जाएगी. ये सभी सुविधाएं वह जबतत जीवित रहेंगे तब तक मिलती रहेंगी.
उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद कितनी पेंशन?
यह व्यवस्था सिर्फ जगदीप धनखड़ के लिए ही नहीं है, बल्कि यह उन सभी राजनेताओं के लिए है, जो कई उच्च पदों पर काम कर चुके हैं. यह वर्तमान नीति-नियंताओं द्वारा माननीयों के लिए तय की गई एक ऐसी प्रणाली है, जिसे सभी स्वीकार करते हैं. इस व्यवस्था के तहत कई पूर्व राजनेताओं को अलग-अलग पदों के लिए कई पेंशन मिलती रहती हैं. हालांकि, यह एक कानून है और इसे गलत भी नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि यह मौजूदा व्यवस्था का एक हिस्सा है. दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस व्य्यवस्था का विरोध करते हुए पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार ने इसे लागू किया था.
जगदीप धनखड़ ने बीते सोमवार को उपराष्ट्रपति का आवास खाली कर दिया है. लेकिन उनके लिए नई सुविधाओं का सिलसिला जल्द ही शुरू हो जाएगा. इस तरह के भत्ते और पेंशन प्रणाली यह दिखाती है कि भारत में उच्च पदों पर रहने वाले राजनेताओं को सेवानिवृत्ति के बाद भी आरामदायक जीवन सुनिश्चित किया जाता है, जो उनके देश के प्रति योगदान का सम्मान है.