किसी भी शख्स के लिए आधार कार्ड को अपडेट कराना उसका मूलभूत अधिकार है। यह उसका वैधानिक हक भी है। ऐसे में आधार डाटा में अपडेट के लिए स्थानीय स्तर पर ही सुविधा मिलनी चाहिए। मद्रास हाई कोर्ट ने एक केस की सुनवाई करते हुए यह बात कही।
बेंच ने कहा कि UIDAI को यह तय करना चाहिए कि लोगों को आधार में किसी तरह का अपडेट कराने के लिए परेशानी ना उठानी पड़े। जस्टिस जीआर स्वामीनाथन की बेंच ने कहा कि आधार के जरिए कई लाभ मिलते हैं और यह सरकार की ओर से दिए जाते हैं। ऐसे में आधार बनवाना या फिर उसमें किसी तरह का अपडेट कराना नागरिकों का मूल अधिकार है। इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
इसके लिए लोगों को मशक्कत करनी पड़े तो यह गलत होगा। बेंच ने कहा कि जब लाभ हासिल करना मूल अधिकार है और उसके लिए आधार कार्ड सबसे जरूरी है तो फिर उसमें अपडेट कराने या डाटा सही कराने की सुविधा नागरिकों के पास होनी चाहिए। बेंच ने कहा कि यह आधार तैयार करने वाली अथॉरिटी UIDAI का काम है कि वह लोगों को इसमें अपडेट कराने के लिए स्थानीय स्तर पर सुविधाएं दे। दरअसल देश के कई हिस्सों में आधार कार्ड नया बनवाने या फिर अपडेट कराने के लिए सेंटर दूर होने और वहां जाकर लंबी लाइनों में लगने की शिकायतें आई हैं।
दरअसल अदालत ने यह टिप्पणी एक 74 साल की विधवा महिला पी. पुष्पम की अर्जी पर सुनवाई करते हुए की। तमिलनाडु के परमकुड़ी की रहने वाली पुष्पम की याचिका में कहा गया कि उनकी फैमिली पेंशन इसलिए अटकी हुई है क्योंकि आधार कार्डम में उसका नाम पुष्बम हो गया है और जन्मतिथि में खामियां हैं। अब वह उसमें करेक्शन चाहती हैं, लेकिन उसमें मुश्किलें आ रही हैं। पुष्पम के पति सैनिक थे और 21 साल तक सेवाएं दी थीं। उनका मई 2025 में निधन हो गया था। पति के निधन के बाद जब महिला ने पेंशन के लिए आवेदन किया तो डिफेंस अकाउंट्स डिपार्टमेंट ने प्रॉसेस करने से इनकार कर दिया।
 
		