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“Delhi Blast: सीरियाई हैंडलर, तुर्की मीटिंग, 40 ट्यूटोरियल और ‘कर्नल’… NIA ने दिल्ली ब्लास्ट के पीछे ढूंढे विदेशी सुराग”

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नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने दिल्ली ब्लास्ट के पीछे एक बड़े विदेशी टेरर नेटवर्क का पता लगाया है, जिसमें विदेशी हैंडलर्स की एक चेन, रेडिकलाइजेशन रूट्स और एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन का पता चला है।

सूत्रों ने बताया कि दिल्ली ब्लास्ट में सुसाइड बॉम्बर डॉ. उमर नबी, जिसमें 15 लोगों की जान गई थी, पाकिस्तानी हैंडलर उकाशा (Pakistani handler Ukasha) के कहने पर 2022 में दूसरे आरोपियों के साथ तुर्की में एक सीरियाई टेरर ऑपरेटिव से मिला था।

उन्होंने बताया कि तुर्की मीटिंग के बाद, उमर ने फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले लिया। पिछले हफ्ते शाम को लाल किला इलाके के पास डॉ. उमर की चलाई जा रही एक धीमी रफ्तार वाली हुंडई i20 में धमाका हुआ। यह धमाका हरियाणा के फरीदाबाद में सिक्योरिटी एजेंसियों द्वारा एक ‘व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल’ का भंडाफोड़ करने के कुछ घंटों बाद हुआ, जिसमें 2,900 kg एक्सप्लोसिव बरामद हुए और तीन डॉक्टरों को गिरफ्तार किया गया।

दिल्ली बॉम्बर उमर, डॉ. मुज़म्मिल, डॉ. अदील और डॉ. मुजफ्फर राथर के साथ, 2022 में एक सीरियाई के साथ सीक्रेट मीटिंग के लिए तुर्की गया था, जिसके बारे में माना जाता है कि वह एक बड़े टेरर ग्रिड का हिस्सा है।

‘उसे एक ‘बड़े ऑपरेशन’ में हिस्सा लेना होगा’

सूत्रों ने बताया कि सीरियाई हैंडलर, जिसे ‘बहुत ट्रेंड ऑपरेटिव’ बताया गया है, ने उमर को यकीन दिलाया कि उसे एक ‘बड़े ऑपरेशन’ में हिस्सा लेना होगा। सूत्रों के मुताबिक, जांचकर्ताओं का मानना है कि यह मीटिंग उकाशा नाम के एक खास हैंडलर के कहने पर तय की गई थी। उन्होंने बताया कि उकाशा के अलावा, दूसरे हैंडलर की पहचान हंजुल्लाह के तौर पर हुई है।

टेरर मॉड्यूल पर काम करने लगा

वहां से लौटने के बाद उमर अल फलाह यूनिवर्सिटी में शामिल हो गया और टेरर मॉड्यूल पर काम करने लगा। सूत्रों ने बताया कि विदेशी हैंडलर्स ने एन्क्रिप्टेड सोशल मीडिया एप्लीकेशन के ज़रिए मुजम्मिल को 40 से ज़्यादा बम बनाने के वीडियो भेजे थे।

विदेशी हैंडलर की पहचान ‘कर्नल’ (Colonel) के तौर पर

उन्होंने बताया कि एजेंसियों की जांच के दायरे में आए एक और विदेशी हैंडलर की पहचान ‘कर्नल’ (Colonel) के तौर पर हुई है। कई लोगों को शक है कि यह ‘कर्नल’ मोहम्मद फैसल है, जिस पर कर्नाटक में इंजीनियरिंग के छात्रों को कट्टरपंथी बनाने का आरोप है। एक छद्म नाम जो दक्षिण भारत में कई हमलों से जुड़ा है, जिसमें 2024 में रामेश्वरम ब्लास्ट, मैंगलोर में एक ऑटोरिक्शा में प्रेशर कुकर ब्लास्ट और 2022 में कोयंबटूर ब्लास्ट शामिल हैं।