हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। 243 सदस्यों वाली विधानसभा में पार्टी ने 89 सीटें जीती हैं, जबकि सहयोगी जेडीयू ने 85 सीटें जीती हैं।
अन्य तीन सहयोगियों ने कुल 28 सीटें जीती हैं। राज्य में फिर से NDA सरकार बनने से भाजपा गदगद है लेकिन उसे पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल की चिंता सता रही है, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। बिहार में प्रचंड जीत के बाद अब पश्चिम बंगाल पर भाजपा की पैनी नजर है। भाजपा की चाहत है कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी के इस राज्य में अपने दम पर सरकार बनाए और वहां भगवा झंडा लहराए, ताकि पूरब से पश्चिम तक उसका डंका और तेज बज सके।
2021 में हुए बंगाल विधानसभा चुनावों में हिन्दुत्व की धार पर भाजपा सत्ता में आने के सपने देख रही थी लेकिन वह मुख्य विपक्षी पार्टी ही बन पाई। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने पांच साल पहले हुए उस चुनाव को बंगाली अस्मिता का चुनाव बना दिया था और भाजपा को बाहरी करार देकर चुनावों में न सिर्फ जीत हासिल की थी बल्कि सत्ता में वापसी की हैट्रिक भी लगाई थी।
PM मोदी ने क्या कहा?
पार्टी उस हार को भुला नहीं पाई है। अगले साल होने वाले चुनाव को एक बदलाव की बयार के रूप में देख रही है और हर हाल में जीत के मंसूबे पाल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बिहार जीत के बाद भाजपा के ऐसे इरादों को साफ कर दिया है। 14 नवंबर को बिहार में हुई प्रचंड जीत के बाद अपने संबोधन में उन्होंने बंगाल का जिक्र किया था। PM ने कहा था, “बिहार में जीत ने बंगाल में BJP की जीत का रास्ता बना दिया है। मैं पश्चिम बंगाल के लोगों को भरोसा दिलाना चाहता हूँ कि आपके समर्थन से BJP वहां भी जंगल राज खत्म कर देगी।”
जी-जान से जुटी बंगाल भाजपा
लिहाजा, भाजपा बंगाल फतह करने की तैयारियों में जी जान से जुटी हुई है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा बंगाल में जीत के लिए 10 मुद्दों पर फोकस कर रही है और उन्हें अपनी कैम्पेन थीम में शामिल किया है। इन 10 मुद्दों में राज्य की खराब कानून-व्यवस्था, भ्रष्टाचार, अवैध घुसपैठिए, राष्ट्रीय सुरक्षा और लोकतांत्रिक व्यवस्था का उल्लंघन भी शामिल है। इसके अलावा बंगाली अस्मिता और बाहरी व स्थानीय का मुद्दा भी शामिल है। भाजपा ने स्थानीय नेताओं को इन मुद्दों के बारे में बता दिया है।
हर हफ्ते मीटिंग कर रहे भूपेंद्र यादव
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के पश्चिम बंगाल चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव हर हफ्ते चुनावी तैयारियों पर नजर रखने के लिए कोलकाता में नेताओं के एक कोर ग्रुप के साथ मीटिंग करते हैं। उन्होंने राज्य भर के 80,000 बूथों पर पार्टी वर्कर्स को संगठन मजबूत करने की ज़िम्मेदारी दी है। पार्टी के एक सूत्र ने बताया है कि इस वक्त भाजपा की सबसे बड़ी चुनौती “बाहरी” टैग से छुटकारा पाना है, जिसे ममता बनर्जी ने 2021 के चुनाव में भाजपा के खिलाफ इस्तेमाल किया था और कामयाबी हासिल की थी।
बाहरी और बंगाली अस्मिता के मुद्दे पर आर-पार
ममता बनर्जी ने 2021 के चुनाव को बाहरी बनाम बंगाल की बेटी (TMC का चुनावी नारा था बांग्ला निजेर मेये के चाहिए, यानी बंगाल अपनी बेटी चाहता है) के बीच मुकाबला बना दिया था। जख्मी ममता पैर में प्लास्टर चढ़ाए हुए चुनावी मंचों से बंगाली अस्मिता और बंगाल की बेटियों को ललकारती नजर आती थीं। पार्टी के एक नेता ने एक्सप्रेस को बताया, “पिछली बार, हमने कई गलतियां कीं। BJP के बाहरी लोगों की पार्टी होने के TMC के कैंपेन का मुकाबला करने के लिए कोई ज़ोरदार कोशिश न करना एक बड़ी गलती थी।” लेकिन अब समिक भट्टाचार्य की लीडरशिप में पार्टी की प्रदेश इकाई श्यामा प्रसाद मुखर्जी की विरासत को लेकर आगे बढ़ने जा रही है और लोगों से कनेक्ट करने की रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी जनसंघ से होते हुआ भाजपा तक की विचारधारा को बंगाली संस्कृति से जोड़ने की कोशिशों में जुट गई है। यानी बाहरी और बंगाली अस्मिता, दोनों मुद्दों पर पार्टी आर-पार को तैयार है।



