रायपुर। छत्तीसगढ़ में प्लेसमेंट एजेंसियों के माध्यम से आउटसोर्सिंग पर रखे गए विद्या मितानों के वेतन में डंडी मारे जाने की जांच होगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को विधानसभा में इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि प्लेसमेंट एजेंसियों के खिलाफ लूट खसोट की शिकायतें आ रही हैं। इस पूरे प्रकरण की जांच होगी।
सदन में प्रश्नकाल में कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह ने आउटयह मामला उठाया। उन्होंने कहा कि ठेका कंपनी को प्रति विद्या मितान सरकार 28000 रुपये देती है, जबकि कंपनी इन शिक्षकों को मात्र 15000 ही देती है। कमीशन खोरी का खेल चल रहा है। सरकार ठेका प्रथा बंद कर सीधे शिक्षकों को वेतन दे।
जकांछ विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पहले ही इस मामले में बोल चूके हैं, इसलिए शिक्षा मंत्री को जांच की घाोषणा करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर और शिवरतन शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने आउट सोर्सिंग बंद करने की घोषणा की है। इस पर तत्काल अमल किया जाना चाहिए।
उन्होंने भी वेतन में गड़बड़ी की जांच की मांग की। इस बीच मुख्यमंत्री बघेल भी सदन में पहुंच गए। उनके आते ही विपक्षी सदस्यों ने उनसे भी जांच की मांग की। मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने बताया कि विद्या मितानों की संख्या 2185 है। अलग- अलग जिलों में उनका वेतन अगल- अलग है।
फिर भी सदस्यों की मांग है तो हम इसकी समीक्षा करेंगे। इसके बावजूद विपक्षी सदस्य जब जांच की मांग पर अड़े रहे तो मुख्यमंत्री ने कहा कि यह गंभीर विषय है। प्लेसमेंट कंपनी विद्या मितानों को की सैलरी के लिए 28000 लेती है, लेकिन उन्हें 11-12 हजार रुपये ही दिया जा रहा है। इस गड़बड़ी की जांच की जाएगी।