लोकसभा चुनावों के पहले चरण के मतदान में अब कुछ दिन ही बचे हैं। ऐसे में सभी पार्टियां अपनी ओर से किसी भी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रही हैं। पार्टियों ने अधिकतर सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। अब देखना यहा है कि, 23 मई को आने वाले परिणाम किसी ओर झुकेंगे। पिछले चुनाव में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस 44 सीटों पर सिमट कर रह गई थी। वहीं बीजेपी ने इस चुनाव में 282 जीतीं थी। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, इस बार कांग्रेस का बीजेपी से देश की 210 से अधिक सीटों पर सीधा मुकाबला है। क्यों कि कांग्रेस इन सीटों पर पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रही थी। अब सबसे बड़ी बात यह है कि, क्या कांग्रेस ने इन सीटों के लिए कोई खास रणनीति बनाई है, जिससे वह अपने दूसरे स्थान को पहले स्थान में बदल सके।
एनडीटीवी में छपी एक खबर के मुताबिक, 2014 के लोकसभा चुनाव में गुजरात, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़, केरल और कर्नाटक सहित 10 राज्यों की 224 सीटों पर कांग्रेस 183 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। वहीं केंद्र शासित राज्यों कुल 28 लोकसभा सीटों में कांग्रेस 27 सीटों पर नंबर दो पर रही थी। अगर इन सभी सीटों को जोड़ लिया जाए तो ये आंकड़ा 210 हो जाता है। जहां पर कांग्रेस चुनावी महासमर में दूसरे स्थान पर रही। कांग्रेस असम की 14 में से 11 सीट पर, छत्तीसगढ़ में सभी 11 सीटों पर, गुजरात की 26 में से 25 सीटों पर, हरियाणा की 10 में 6 सीटों पर, कर्नाटक की सभी 28 सीटों पर , केरल की 20 में से 15 सीटों पर , मध्य प्रदेश की 29 में से 28 सीटों पर , महाराष्ट्र की 48 में से 26 सीट पर ,पंजाब की 13 में 11 सीटों पर, राजस्थान की 25 में से 22 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी।
आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस को लोकसभा चुनावों में 50 से कम सीटें मिलीं
2014 के लोकसभा चुनाव में करीब 268 सीटें ऐसी थीं कि जहां कांग्रेस ने या तो जीत दर्ज की या फिर दूसरे नंबर रही। लेकिन उसकी सफलता की आंकड़ा केवल 44 पर ही रह गया। यह आजादी के बाद पहली बार था कि, कांग्रेस को लोकसभा चुनावों में 50 से कम सीटों पर जीत हासिल हुई। अगर इस चुनाव में कांग्रेस को अच्छा प्रदर्शन करना है तो उसे असम, हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, केरल, पंजाब, राजस्थान और महाराष्ट्र में शानदार प्रदर्शन करना होगा। क्योंकि इन राज्यों में बीजेपी ने कांग्रेस का पूरी तौर पर सफाया कर दिया था। जिसका असर उसकी सीटों के आंकड़ों पर भी देखने को मिला था। इन राज्यों में 224 लोकसभा सीटें हैं जिनमें कांग्रेस सिर्फ 29 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी थी। जबकि वह महाराष्ट में एनसीपी के साथ गठबंधन में थी।
इन राज्यों की जीत पटल सकती है कांग्रेस की बाजी
हालांकि, इस बार चीजों 2014 से अलग हैं। कांग्रेस ने पिछले साल तीन बड़े हिन्दी राज्यों में शानदार जीत दर्ज की थी। इन राज्यों में कांग्रेस की सरकार होने का उन्हें सीधा फायदा मिलेगा। जिससे कांग्रेस की सीटों में एक बड़ा उछाल देखने को मिल सकता है। वहीं बात अगर गुजरात की करे तो हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नें राज्य में अपने प्रदर्शन में जबरदस्त सुधार किया था। जिससे ये मान सकते हैं कि, गुजरात में भी पार्टी ठीक प्रदर्शन कर सकती है। वही अगर बात छोटे राज्यों औऱ केंद्र शासित प्रदेश की करें तो हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा औऱ पुंडुचेरी जैसे राज्यों में कुल 28 लोकसभा सीटें हैं। जिसमें कांग्रेस 2014 में 5 सीट ही जीत सकी थी औऱ 22 पर दूसरे स्थान पर रही। इस बार यहां भी कांग्रेस के लिए अच्छी संभावना है।
इन नौ राज्यों में कांग्रेस काफी कमजोर है, लेकिन प्रियंका इफेक्ट कर सका है कमाल
अब बात करते हैं बड़े राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल , ओडिशा औऱ आंध्र प्रदेश समेत 9 राज्यों की। जहां पर क्षेत्रीय दल अधिक प्रभाव रखते हैं। इन राज्यों में कांग्रेस का कैडर काफी कमजोर माना जाता है। इन राज्यों से 291 लोकसभा सीटें आती हैं। कांग्रेस केवल 10 सीटों पर जीतों पर जीत दर्ज करने में सफल रही थी। वहीं 48 सीटों पर दूसरे पर नंबर रही है। राजनीतिक विषलेश्कों की मानें तो इन राज्यों में कांग्रेस के प्रदर्शन में कोई खास सुधार होता नहीं दिख रहा है। हालांकि यूपी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी बहन प्रियंका को सक्रिय राजनीति में उतारा है। जिसके बाद ऐसा माना जा रही है कि, यूपी में कांग्रेस में प्रदर्शन में कुछ सुधार देखने को मिल सकता है।