हिन्दुस्तान की सभ्यता में प्राचीन समय से ही आयुर्वेद रचा बसा हुआ है। आयुर्वेद में शरीर के विभिन्न रोगों के लिए तीन दोषों को जिम्मेदार माना गया है। वात, पित्त और कफ। शरीर में इन तीनों दोषों की कमी या अधिकता होने पर ही कई तरह की बीमारियां घेर लेती हैं। अगर शरीर को स्वस्थ रखना है तो सही आहार लेना होगा। क्योंकि आहार गलत होगा तो कोई दवाईयां असर नहीं करेंगी और अगर आप अपने भोजन में आयुर्वेदिक तत्वों को शामिल करते हैं तो आपको किसी तरह के उपचार की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। आयुर्वेद में बताए गए आहार का नियमित सेवन करने से शरीर में बीमारियों के होने की संभावना घट जाती है। आगे की स्लाइड में जाने की कौन से वो आहार हैं जिन्हें आयुर्वेद के नियमों के अनुसार खाना चाहिए।
घी
आयुर्वेद में शुद्ध देसी घी को बटर से ज्यादा प्राथमिकता दी गई है। घी का नियमित सेवन करने से ये शरीर के दूषित पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है। ये बाजार में मिलने वाले बटर से ज्यादा आसानी से पच जाते हैं।
गर्म दूध
दूध पीना सेहत के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है। लेकिन गर्म दूध की अपेक्षा ठंडा दूध पचने में थोड़ा ज्यादा समय लेता है। आयुर्वेद कहता है कि गर्म दूध शरीर में सभी तरह के दोषों में संतुलन बनाकर रखता है।
अदरक
अदरक का प्रयोग भारतीयों के लगभग हर खाने की चीज में किया जाता है। आयुर्वेद बताता है कि अदरक बहुत सारी बीमारियों में इस्तेमाल किया जा सकता है। जैसे सर्दी-जुकाम में तो इसका प्रयोग किया ही जाता है, इसके साथ ही पीरियड में होने वाली तकलीफों में भी इसको दवा के तौर पर प्रयोग किया जाता है।
गर्म पानी
आयुर्वेद में गर्म पानी पीने के बहुत से फायदे बताए गए हैं। इसको पीने से शरीर के दूषित पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती हैं। अगर कोई नियमित रुप से हर घंटे गर्म पानी का सेवन करता है तो इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म सिस्टम सही रहता है और त्वचा चमकदार बनी रहती है।
जीरा
मसालों में जीरे का इस्तेमाल तो भारतीय थाली में होता ही है। इसके साथ ही आयुर्वेद कहता है कि अगर जीरे को नियम से अपने आहार में शामिल किया जाए तो यह पाचन क्रिया को दुरुस्त रखता है। जीरों के दानों को रात में भिगोकर सुबह खाली पेट इसके पानी का सेवन करने के बहुत सारे फायदे हैं।