विश्व के सबसे ऊंचा रेलवे पुल के आर्च को भारतीय इंजीनियरों ने पूरा कर दिया है. भारत सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना को इंजीनियरिंग का चमत्कार कहा जा रहा है. आर्च पर बनने वाला पुल किसी भी आतंकी हमले को झेलने में सक्षम है. कश्मीर घाटी को रेल से जोड़ने की परियोजना के पूरा होने से हर तरफ खुशी है.
भारत सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना इंजीनियरिंग का चमत्कार
जम्मू से करीब 120 किलोमीटर दूर रियासी के कोड़ी जिले में सबसे ऊंचे रेलवे पुल को बनाने के लिए आर्च पर काम पूरा हो गया है. अर्द्ध चंद्रमा की आकार वाले इस आर्च के ऊपर से गुजरनेवाले पुल की लंबाई 359 मीटर होगी. ये एफिल टॉवर से 35 मीटर ज्यादा है. करीब दो लाख बोल्ट से जोड़ा गया अर्च इंजीनियरिंग की दुनिया के लिए चमत्कार है. पुल को बनाने में कोंकण रेलवे के डिप्टी चीफ इंजीनियर आरआर मलिक की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उन्होंने बताया कि पुल को बनाना अपने आप में एक बहुत बड़ी चुनौती थी.
कोंकण रेलवे ने आर्च की लंबाई 309 मीटर बताया है और इसका फाउंडेशन करीब आधे फुटबॉल ग्राउंड के बराबर है. कोंकण रेलवे का ये भी दावा है कि जिन पहाड़ों पर पुल को बनाया गया है उन पहाड़ों में काफी हलचल है और पुल की सुरक्षा के लिए ना केवल देश के आईआईटी संस्थानों से राय ली गई बल्कि कई नामी-गिरामी इंजीनियरों ने भी योगदान दिया. उसके मुताबिक, पुल आठ रिक्टर स्केल पर भूकंप और धमाका झेलने की क्षमता रखता है.
विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे पुल को बनाने के लिए आर्च पर काम पूरा
जम्मू के रियासी जिले में चिनाब नदी पर बन रहे पुल का काम साल 2013 में शुरू हुआ था. पुल को 1330 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जा रहा है. पुल की कुल लंबाई 1315 और ऊंचाई 359 मीटर है. पुल के बनने के बाद रेल कटरा से रियासी, रियासी से सलाल, सलाल से डुग्गा, डुग्गा से बशिन्दर और बशिन्दर से संगलदान जाएगी. जम्मू के सुदूर पहाड़ी इलाकों में बसा रियासी जिला आतंकियों के निशाने पर भी रहा है.
ऐसे में पुल को बनाते वक्त न केवल प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में सक्षम बनाया गया है बल्कि पुल ब्लास्ट और फायर प्रूफ भी है. आतंक का दंश झेल चुके रियासी जिले में पुल किसी वरदान से कम नहीं है. पुल के बनने से इलाके में व्यवसायिक गतिविधियां बढ़ने के साथ रोजगार का भी अवसर पैदा होगा. इलाके के लोगों को पहले कई सौ किलोमीटर दूर जम्मू में आकर काम करना पड़ता था. कोंकण रेलवे का दावा है कि आर्च के बनने के बाद अब अगले साल मार्च तक आर्च के ऊपर से पुल को तैयार कर दिया जाएगा.