कितनी हैरानी की बात है जो खिलाड़ी टी20 फॉर्मेट का सबसे घातक बल्लेबाज है उसे ही टीम इंडिया सबसे कम गेंद खेलने का मौका देती है. हमने देखा है कि कितने मौकों पर कोलकाता नाइटराइडर्स (KKR) की इस बात के लिए आलोचना होती रहती है कि आखिर क्यों वो आंद्रे रसेल (Andre Russell) जैसे बल्लेबाज़ को इतनी देर से बल्लेबाजी के लिए भेजते हैं जब सब कुछ लगभग लुट चुका होता है. हार्दिक पंड्या (Hardik Pandya) जैसे धुरंधर के साथ भी टीम इंडिया का मैनेजमेंट कहीं वैसा ही रवैया तो नहीं अपना रहा है?
अगर स्ट्राइक रेट की बात करें (143.24) तो मौजूदा टीम में सिर्फ केएल राहुल ही पंड्या के करीब आते हैं और वो भी इसलिए क्योंकि उन्हें ओपनिंग करने का मौका मिलता है. पंड्या को अकसर नंबर 6 या कई मौके पर उससे भी नीचे बल्लेबाज़ी के लिए भेजा जाता है जो शायद उनकी प्रतिभा के साथ अन्याय करने जैसा है.
भारत के लिए टी20 मुकाबलों में पंड्या को 35 फीसदी मैचों (46 मैचों में 30 में ही बल्ला थामा) में बल्लेबाज़ी करने का मौका ही नहीं मिलता है. और तो और इनमें से कुल 11 मैच ऐसे हैं जहां पंड्या ने कुल मिलाकर 35 गेंदें ही खेली हैं.. यानि औसन हर मैच में 2-3 गेंद. सिर्फ एक दर्जन मैच ही ऐसे हैं जहां पर पंड्या को 12 गेंद (एक पारी का 10 फीसदी) या उससे ज़्यादा गेंद खेलने का मौका मिला है. यही वजह है कि पंड्या इस फॉर्मेट में एक भी अर्धशतक नहीं लगा पाए हैं.
हो सकता है कुछ लोग ये तर्क दें कि पंड्या तो ऐसी ही भूमिका मुंबई इंडियंस के लिए भी तो निभाते हैं. लेकिन, उस रोल में थोड़ा फर्क हैं. भारत के लिए पंड्या को औसतन जहां हर मैच अमूमन 6 गेंद मिलती है (304 गेंद 47 मैचों में) वहीं मुबंई इंडियंस के लिए 10 (अब तक 847 गेंद 80 मैचों में) से ज़्यादा गेंद. यही वजह है कि आईपीएल में पंड्या का औसत करीब 30 का और स्ट्राइक रेट लगभग 160 का है जो उनके भारत के आंकड़ों से काफी बेहतर है.
पिछले कुछ महीनों में कपिल देव से लेकर आकाश चोपड़ा, वीरेंद्र सहवाग से लेकर हरभजन सिंह तक ने इस बात की वकालत की है पंड्या को ना सिर्फ टी20 बल्कि वनडे मैचों में भी ऊपर बल्लेबाज़ी करने का मौका दिया जाना चाहिए. क्या वक्त आ गया है कि टीम इंडिया इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करें