देश में प्रदुषण के बढ़ते स्तर ने लोगों के स्वास्थ के साथ ही व्यापार को भी खासा नुकसान पहुंचाया है. गुरुवार को जारी एक अध्ययन के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण हर साल भारतीय व्यवसायों को 95 बिलियन डॉलर (7 लाख करोड़ से ज्यादा) का नुकसान होता है. जो कि भारत की कुल जीडीपी का करीब 3 प्रतिशत है. डलबर्ग एडवाइजर्स और उद्योग समूह सीआईआई द्वारा किए गए इस अध्ययन में कहा गया है कि यह नुकसान सालाना कर संग्रह के 50% के बराबर है या भारत के स्वास्थ्य बजट का डेढ़ गुना है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का आईटी क्षेत्र, जो देश के जीडीपी में 9% का योगदान देता है उसे प्रदूषण के कारण
उत्पादकता कम होने के से हर साल 1.3 बिलियन अमरीकी डालर का नुकसान उठाना पड़ता है. यदि वर्तमान में अनुमानित दरों पर वायु प्रदूषण में वृद्धि जारी रहती है, तो यह आंकड़ा 2030 तक लगभग दोगुना हो सकता है.
2030 तक बढ़ सकता है आंकड़ा
रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक इस आंकड़े के और बढ़ने की आशंका है, जिससे भारत उन प्रमुख देशों में शामिल हो जायेगा जहां समय पूर्व मृत्यु दर से वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है. आर्थिक रूप से देखें तो कार्य-दिवसों के नुकसान के कारण 2019 में भारतीय अर्थव्यवस्था को 44 बिलियन अमरीकी डॉलर का नुकसान हुआ.
वायु प्रदूषण से हर साल होती है 15 लाख लोगों की मौत
वायु प्रदूषण से देश में हर साल करीब 15 लाख लोगों की मौत हो जाती है. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने वायु गुणवत्ता की स्थिति में सुधार को लेकर प्रभावी कदमों की निगरानी के लिए आठ सदस्यीय राष्ट्रीय कार्य बल (एनटीएफ) का गठन किया है. एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए के गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि समय की मांग है कि सरकार में सभी स्तर पर समग्र और समन्वित प्रयास किए जाएं.
पर्यावरण की बेहतरी के लिए विशेषज्ञों से ली जा रही राय
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि प्रदूषण को और कम करने के लिए कार्य योजना बनाने के लिए विशेषज्ञों से राय ली जा रही है. बड़े स्तर पर अभियान चलाया जाएगा ताकि दिल्ली की हवा और पर्यावरण बेहतर हो सके. पर्यावरण मंत्री ने कहा कि कांफ्रेंस में कई विशेषज्ञों ने अपने सुझाव दिए हैं. अध्ययन के बाद इन सुझावों के साथ सरकार आगे बढ़ेगी.