राजस्थान में एक बार फिर मंत्री-नेता और ब्यूरोक्रेट्स (Bureaucrats Vs Politicians) आमने-सामने हैं. राज्य के 1 दर्जन से अधिक जिलों के कलेक्टर और एसपी (Collector and SP) स्थानीय जनप्रतिनिधियों के निशाने पर आ गए हैं. नागौर एसपी के खिलाफ सांसद हनुमान बेनीवाल ने पहले से ही मोर्चा खोल ही रखा था. इस बीच गहलोत कैबिनेट के ताकतवर मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने जयपुर के जिला कलेक्टर अंतर सिंह नेहरा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
मंत्रियों से भिड़ने वाले ब्यूरोक्रेट्स पर अक्सर तबादले की गाज गिरती रही है. विवादों में रहने वाले अफसरों का तबादला कर दिया जाता है. नये घटनाक्रम में भी इससे इनकार नहीं किया जा रहा है, क्योंकि गहलोत सरकार का अब तक का इतिहास यही रहा है. जनप्रतिनिधि अफसरों के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं तो कई बार सोशल मीडिया पर अफसरों को विरोध झेलना पड़ रहा है. कोई मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिख रहा है तो कोई मंत्रीपरिषद की बैठक में अफसरों की शिकायत मुख्यमंत्री से कर रहा है.
इन जिलों के SP के खिलाफ खुलकर विरोध
– नागौर एसपी के खिलाफ सांसद हनुमान बेनीवाल ने मोर्चा खोल रखा है. CMO और डीजीपी से शिकायत की गई है.
– धौलपुर एसपी केसर सिंह के खिलाफ बीजेपी के स्थानीय नेता डीजीपी से मिल चुके हैं.
– एसपी सिरोही हिम्मत अभिलाष टॉक स्थानीय विधायक के निशाने पर हैं.
– सवाई माधोपुर एसपी सुधीर चौधरी के खिलाफ भी स्थानीय नेता कई बार अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं.
– एसपी जालोर के विरोध में मंत्री का बेटा धरने पर बैठ गया.
– भरतपुर एसपी देवेंद्र सिंह स्थानीय सांसद पर हुए हमले में घिर गए.
– बाड़मेर एसपी आनंद शर्मा के खिलाफ विधायक ने एनकाउंटर का मामला उठाया.
– कोटा ग्रामीण एसपी से स्थानीय जनप्रतिनिधि नाराज चल रहे हैं.
आधा दर्जन कलेक्टर भी निशाने पर
– जयपुर कलेक्टर अंतर सिंह नेहरा के लिए मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने दफ्तर से नहीं निकलने के लगाए आरोप.
– बूंदी कलेक्टर आशीष गुप्ता के खिलाफ मंत्री कई बार लगा चुके हैं आरोप.
– बारां कलेक्टर राजेन्द्र विजय के थप्पड़ कांड पर विधायक भरत सिंह ने सीएम को लिखा पत्र.
– झुंझुनूं कलेक्टर यूडी खान पर स्थानीय कांग्रेसी नेताओं ने फील्ड में नहीं जाने के लगाया आरोप.
– प्रतापगढ़ कलेक्टर रेनू जयपाल और एसपी चूना राम से स्थानीय विधायक नाखुश हैं.
– जैसलमेर कलेक्टर आशीष मोदी के व्यवहार से मंत्री नाखुश हैं. सीएम को लिख चुके हैं चिट्ठी.
देर-सवेर अफसरों पर गाज गिरना तय
अफसरों के खिलाफ जनप्रतिनिधियों के विरोध में कोई खास क्षेत्र, उम्र, प्रमोटी या डायरेक्ट भर्ती की कैटेगरी भी नहीं है. सभी क्षेत्रों में अफसर इस तरह के विरोध के शिकार हैं. राज्य में एक साथ इतने अफसरों के खिलाफ जनप्रतिनिधियों का बढ़ता विरोध सरकार के लिए चिन्ता का विषय है. राज्य की सियासत में ब्यूरोक्रेट्स और नेताओं के बीच विवाद कोई नई बात नहीं है. पहले भी विवाद होते रहे हैं, लेकिन हर विवाद में जनप्रतिनिधियों का पलड़ा भारी रहा है. अब यह तय माना जा रहा है कि नेताओं से टकराने वाले अफसरों पर देर-सवेर तबादले की गाज गिर सकती है.