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UN की चेतावनी- अगले 20 साल में ग्लोबल टेम्परेचर 1.5 डिग्री तक बढ़ेगा

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जलवायु परिवर्तन (Climate Change) पर संयुक्त राष्ट्र के इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की एक नई रिपोर्ट सोमवार को प्रकाशित हुई. इसमें बढ़ते वैश्विक तापमान को लेकर चेताया गया है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हर 50 साल में एक बार आने वाली हीट वेव (भीषण गर्मी) अब हर 10 साल में आने लगी है. साथ ही हर दशक में भारी बारिश और सूखा पड़ने लगा है. IPCC की रिपोर्ट के मुताबिक 60 देशों के 200 से ज्यादा लेखकों ने पांच स्थितियों को देखते हुए निष्कर्ष निकाला है कि अगले 20 साल में ग्लोबल टेम्परेचर 1.5 डिग्री तक बढ़ जाएगा.

वैज्ञानिकों ने कहा है कि अगर हम कार्रवाई करने में विफल रहते हैं, तो जलवायु में देखे गए कई बदलाव हमारे भविष्य को तबाह कर देंगे. रिपोर्ट में ऐसे तथ्य पेश किए गए हैं, जिन्हें देखते हुए समय पर संभलने की जरूरत है. इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ परिवर्तन पहले से ही गति में हैं, जैसे कि समुद्र के स्तर में निरंतर वृद्धि, जो कि सैकड़ों से हजारों वर्षों में अपरिवर्तनीय हैं.

जेनेवा में आयोजित एक वर्चुअल ग्लोबल मीडिया कॉन्फ्रेंस में जारी नवीनतम इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) रिपोर्ट में यह चिंता बढ़ाने वाली उद्घोषणा की गई है. आईपीसीसी की छठी मूल्यांकन रिपोर्ट (एआर6) क्लाइमेट चेंज 2021 : द फिजिकल साइंस बेसिस जारी हुई है. यह रिपोर्ट की पहली किस्त है, जिसे 2022 में पूरा किया जाएगा.

रिपोर्ट के 200 से ज्यादा लेखक पांच परि²श्यों को देखते हैं और यह रिपोर्ट कहती है कि किसी भी सूरत में दुनिया 2030 के दशक में 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान के आंकड़े को पार कर लेगी, जो पुराने पूवार्नुमानों से काफी पहले है. उन परिदृश्यों में से तीन परिदृश्यों में पूर्व औद्योगिक समय के औसत तापमान से दो डिग्री सेल्सियस से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की जाएगी.

रिपोर्ट से पता चलता है कि मानव गतिविधियों से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन 1850-1900 के बाद से लगभग 1.1 डिग्री सेल्सियस वार्मिंग के लिए जिम्मेदार है और यह पता चला है कि अगले 20 वर्षों में औसतन वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने या उससे अधिक होने की उम्मीद है.विज्ञापन

आईपीसीसी के एक बयान में कहा गया है कि यह आकलन ऐतिहासिक वामिर्ंग का आकलन करने के लिए बेहतर अवलोकन संबंधी डेटासेट पर आधारित है, साथ ही मानव जनित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जलवायु प्रणाली की प्रतिक्रिया की वैज्ञानिक समझ में प्रगति पर आधारित है. रिपोर्ट की प्रमुख बातों पर गौर करें तो इसमें आगाह किया गया है कि जलवायु परिवर्तन जल चक्र को तीव्र कर रहा है. यह कई क्षेत्रों में अधिक तीव्र वर्षा और संबंधित बाढ़ के साथ-साथ अधिक तीव्र सूखे का कारण भी बन रहा है.

इसके अलावा जलवायु परिवर्तन वर्षा के पैटर्न को प्रभावित कर रहा है. उच्च अक्षांशों में, वर्षा में वृद्धि होने की संभावना है, जबकि उपोष्णकटिबंधीय के बड़े हिस्सों में इसके घटने का अनुमान है. मानसून वर्षा में परिवर्तन अपेक्षित है, जो क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग होगा.