ये ख़बर उन सबके लिए महत्वपूर्ण है जो सरकारी पेंशन लेते हैं या फिर पेंशन बनवाने की प्रक्रिया में हैं. दरअसल, ऐसे लोग साइबर अपराधियों के निशाने पर हैं. पिछले दो-तीन महीनों में पेंशनधारियों के साथ ठगी के कई केस सामने आए हैं. ठगी का तरीका और समय ऐसा होता है कि आप चाहकर भी कुछ नहीं कर पाएंगे और आपका बैंक अकाउंट खाली हो जाएगा. कुछ लोगों को तो 10-15 लाख रुपये की भारी-भरकम चपत लग चुकी है. ऐसे फ्रॉड्स से बचने के लिए News18Hindi ने जागरुकता के लिए एक सीरीज चलाई है, जिसके तहत हर तरह के फ्रॉड्स के बारे में बताया जाता है.
आप जिंदा हैं तो प्रमाण-पत्र दीजिए
जी हां. यही वो वाक्य है जिसका इस्तेमाल पेंशनरों के सामने ठग हमेशा करते हैं. सबसे पहले ये ठग अपने टारगेट को फोन करते हैं. कहते हैं कि यदि आपको अपनी पेंशन जारी रखनी है तो अपना जीवित होने का प्रमाण-पत्र जमा कराना होगा. फिर कहा जाता है आप इसे ऑनलाइन भी जमा करवा सकते हैं. इसी तरह की कुछ और बातें करके-करते लोगों से उनके बैंक की डीटेल लेने की कोशिश की जाती है. जैसे ही कोई अपने बैंक की जानकारी ठगों को देता है, तो फिर उसके बात आप जानते ही हैं कि होता क्या है.
पुलिसवाले को भी नहीं छोड़ा
जागरण की एक ख़बर के अनुसार, इसी साल जून में कानपुर के कल्याणपुर निवासी रामकुमार शुक्ला से 6 लाख रुपये का धोखाधड़ी की गई. रामकुमार पुलिस से रिटार्यड कर्मचारी हैं. उसके बाद जुलाई में स्वास्थ्य विभाग के रिटायर्ड अपर निदेशक रामायण प्रसाद के खाते से साढ़े 6 लाख और कल्याणपुर में रहने वाले रिटायर्ड दारोगा राजेश कुमार के खाते से 10 लाख रुपये निकाल लिए थे. वहीं अगस्त 2021 में साइबर ठगों ने यूपी 112 से रिटायर हुए दारोगा रामसेवक को 15 लाख 90 हजार रुपये की चपत लगाई.
देर शाम या रात को करते हैं कॉल
ये अपराधी इतने शातिर हैं कि अपने शिकार को देर शाम या फिर रात को फोन करते हैं. इसके पीछे इनका मकसद ये हैं कि उस समय व्यक्ति बैंक जाकर अपना खाता फ्रीज़ नहीं करवा सकता. और जो लोग रिटायर हो चुके हैं, वो उतने ज्यादा टेक-सेवी (टेक्नोलॉडी के जानकार) नहीं होते कि इंटरनेट बैंकिंग से अपनी ट्रांजेक्शन्स को रोक दें.
आपको चपत लगे तो क्या करें
हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि साइबर फ्रॉडस्टर (ठग) हर दिन नए तरीके खोजते हैं. तो आपको अपने पैसे के मामले में सावधान रहना चाहिए. यदि आपके पास कोई फोन आता है और व्यक्ति कहता है वह ट्रेज़री (कोषागार) ऑफिस से बोल रहा है तो आपको उस पर विश्वास नहीं कर लेना चाहिए. आपको खुद ट्रेज़री में जाकर इस बात की पुष्टि करनी चाहिए. दूसरी सबसे अहम बात ये है कि आपको कभी भी किसी भी व्यक्ति को अपने बैंक से जुड़ी जानकारी नहीं देनी चाहिए, फिर चाहे वह व्यक्ति खुद को बैंक का अधिकारी ही क्यों न बताए.
इन सबके बाद भी यदि आप ठगी का शिकार हो जाते हैं तो आपको 115260 नंबर डायल करके अपने साथ हुई घटना की शिकायत करनी चाहिए. आप साइबर क्राइम की वेबसाइट पर जाकर भी शिकायत करवा सकते हैं.