पाकिस्तान (pakistan) आखिरकार अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुक गया है. वहां की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव (Kulbhushan Jadhav), अब जल्द ही सजा-ए-मौत के फैसले के खिलाफ अपील कर सकेंगे. 4 साल पहले जासूसी के आरोप में उन्हें मिलिट्री कोर्ट ने यह सजा सुनाई थी. पाकिस्तान के उच्च सदन ने बुधवार को ‘इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (रिव्यू एंड री-कन्सीडरेशन) ऑर्डिनेंस 2020’ को मंजूरी दे दी है. यह बिल करीब 5 महीने पहले पाकिस्तान के निचले सदन (नेशनल असेंबली) से पास हुआ था.
बिल के मुताबिक, पाकिस्तान की जेलों में सजायाफ्ता विदेशी कैदी (जिन्हें मिलिट्री कोर्ट्स ने सजा सुनाई है) ऊपरी अदालतों में अपील कर सकेंगे. अब राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद यह कानून बन जाएगा.
क्या है भारत का पक्ष
भारत लगातार ये कह रहा है कि जाधव एक पूर्व नौसेना अधिकारी हैं जिन्हें ईरान से किडनैप कर लिया गया था. वो उस दौरान बिजनेस के सिलसिले में वहां पहुंचे थे. किडनैप किए जाने के बाद उन्हें पाकिस्तान की सेना को सौंप दिया गया था. जबकि इस्लामाबाद आरोप लगाता रहा है कि जाधव एक भारतीय जासूस हैं, जो पाकिस्तान के अंदर आतंकी हमले कराने के लिए जिम्मेदार हैं.
ICJ ने क्या कहा था
आईसीजे ने जुलाई 2019 में फैसला दिया था कि पाकिस्तान को जाधव को दोषी ठहराने और सजा सुनाने संबंधी फैसले की समीक्षा करनी चाहिए. साथ ही आईसीजे ने कहा था कि बिना किसी देरी के भारत को जाधव के लिए राजनयिक पहुंच उपलब्ध कराने देने का भी मौका देना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने अपने 2019 के फैसले में पाकिस्तान को, जाधव को दी गई सजा के खिलाफ अपील करने के लिए उचित मंच उपलब्ध कराने को कहा था.