वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने सोमवार को आर्थिक सर्वे 2021-22 पेश किया. इसमें 9.2 फीसदी ग्रोथ का अनुमान जताया गया है. आर्थिक सर्वे के अनुसार कोविड-19 (Covid-19) की मार से उबर रही अर्थव्यवस्था अब तेजी से ग्रोथ कर रही है. चालू वित्त वर्ष में जुलाई से सितंबर अवधि में इकोनॉमी की रफ्तार तेज हुई है. इसी वजह से यह कोरोना से पहले के स्तर पर आने में कामयाब रही है. आर्थिक सर्वे से यह भी सामने आया है कि देश की अर्थव्यवस्था को गति देने में कृषि और इंडस्ट्रियल सेक्टर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
आर्थिक सर्वे (Economic Survey) में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान कृषि क्षेत्र (Agriculture Sector) की विकास दर 3.9 फीसदी रहने का अनुमान है. वहीं इस वित्त वर्ष में इंडस्ट्रियल ग्रोथ 11.8 फीसदी रहने का अनुमान है. इससे साफ है कि ये दोनों ही सेक्टर अर्थव्यवस्था के लिये कितने महत्वपूर्ण हैं. आर्थिक सर्वे के अनुसार इकोनॉमी के सभी इंडिकेटर्स सकारात्मक हैं और इसी से संकेत मिलता है कि हमारी अर्थव्यवस्था चुनौतियों से निपटने के लिये मजबूत स्थिति में है.
कृषि निर्यात में बढ़ोतरी
आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि कोविड-19 की वजह से बढ़ी मांग का फायदा कृषि सेक्टर को होगा और वित्तवर्ष 2021-2022 में भी कृषि निर्यात (Agriculture export) में वृद्धि जारी रही. इसमें एक प्रभावी कृषि निर्यात नीति का बड़ा हाथ है. कृषि और संबद्ध उत्पादों का निर्यात अप्रैल से नवंबर 2021 के बीच 23.2 फीसदी बढ़कर 31.0 बिलियन डालर हो गया. 2019 की समान अवधि में हुये कुल निर्यात से यह 35 फीसदी ज्यादा है. इतना ही नहीं कृषि निर्यात ने कोरोना पूर्व के अपने स्तर को भी पार कर दिया है.
फसल विविधिकरण का महत्व
सरकार का जोर फसल विविधिकरण पर है. सरकार किसानों को गेहूं-चावल फसलचक्र को छोड़कर दाल और तिलहनी फसलों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित कर रही है ताकि देश खाद्य तेलों और दालों के मामले में आत्मनिर्भर हो जाये और आयात पर निर्भरता कम हो. किसानों के दालों की खेती अपनाने से सरकार को भी गेहूं और चावल के वास्तविक बफर सटॉक को बनाये रखने में सक्षम बनायेगी. हाल ही में सरकार ने दलहनी और तिलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिये कई कदम उठाये हैं. इनमें रकबे में बढ़ोतरी, उन्नत तकनीकों से उत्पादन वृद्धि तथा फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी आदि शामिल हैं.
महंगाई को काबू करने के जी-तोड़ प्रयास
आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि खाद्य वस्तुओं की महंगाई को काबू करने के लिये कड़े प्रयास किये गये हैं. इंपोर्ट ड्यूटी में बदलाव कर प्रयास किया गया कि उपभोक्ता को कम दाम पर खाद्य वस्तु मिल सके. हालांकि इससे घरेलू उत्पादकों में गलत संदेश गया और अनिश्चितता का माहौल पैदा हुआ. इसके लिये एक दीर्घावधि नीति बनाने की जरूरत है. इसी दिशा में सरकार ने कदम उठाया भी है. प्रतिवर्ष 2.5 लाख मीट्रिक टन उड़द और 1 लाख मीट्रिक टन तूअर का आयात करने के लिये म्यांमार के साथ समझौता किया गया है. मौजाम्बिक के साथ हुये एमओयू को पांच साल के लिये बढ़ा भी दिया गया है.
पशुपालन और मत्स्य पालन में असीम संभावनायें
आर्थिक सर्वे में वित्तमंत्री ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने में कृषि संबद्ध कार्यों जैसे पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन का महत्वपूर्ण योगदान है. इससे पता चलता है कि अब इन सेक्टर्स पर फोकस करने का वक्त आ गया है. इसके अलावा छोटे और सीमांत किसानों की उत्पादकता बढ़ाने के लिये सुक्ष्म फार्म टेक्नॉलोजी को बढ़ावा देना होगा. सरकार इसके प्रयास कर रही है.