कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के खिलाफ जारी टीकाकरण अभियान (Vaccination Drive) में अब दो और वैक्सीन शामिल होने वाली है. News18 को मिली जानकारी के अनुसार सेंट्रल ड्रग्स लेबोरेटरी ने कॉर्बीवैक्स वैक्सीन (Corbevax Vaccine) के 6 करोड़ डोज को मंजूरी दे दी है. इस कोविड-19 वैक्सीन का निर्माण हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल ई ने किया है.
दरअसल इस वैक्सीन का स्टॉक निर्माता के पास सुरक्षित रखा गया है क्योंकि सरकार ने इसके उपयोग के बारे में कुछ तय नहीं किया था. इस बात की संभावना है कि देश में 15 से 17 वर्ष की आयु वाले बच्चों के कोरोना वैक्सीनेशन प्रोग्राम में कॉर्बीवैक्स को शामिल किया जा सकता है. फिलहाल इस टीकाकरण अभियान में भारत बायोटेक की वैक्सीन इस्तेमाल की जा रही है.
सेंट्रल ड्रग्स लेबोरेटरी हिमाचल प्रदेश के कसौली में स्थित सरकारी लैब है, जो कि भारत में इस्तेमाल की जाने वाली सभी वैक्सीन के सुरक्षा मानकों का परीक्षण व अध्ययन करती है. सुरक्षा जांच से जुड़ी मंजूरी मिलने के बाद पिछले 3 महीनों में कॉर्बीवैक्स वैक्सीन 6 करोड़ स्टॉक को रिलीज किया गया है.
कॉर्बीवैक्स के अलावा सेंट्रल ड्रग्स लेबोरेटरी ने कोवोवैक्स के 3.15 करोड़ डोज को भी मंजूरी दी है. इस अमेरिकी वैक्सीन का निर्माण भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने किया है और जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल शॉट कोविड-19 वैक्सीन के 1.85 करोड़ डोज का निर्माण बायोलॉजिकल ई ने किया है.
देश में कोरोना टीकाकरण को लेकर गठित नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनिसेशन की मीटिंग शुक्रवार को होने की संभावना है. इस बैठक में पैनल से जुड़े विशेषज्ञ बच्चों के लिए उपयोग में लाई जाने वाली कोवोवैक्स और कॉर्बीवैक्स वैक्सीन से जुड़े डाटा की समीक्षा करेंगे. इन दोनों वैक्सीन को भारत में जारी कोरोना वैक्सीनेशन अभियान में अब तक शामिल नहीं किया गया है. देश की ज्यादातर
आबादी को पहले और दूसरे डोज के तौर पर कोविशील्ड और कोवैक्सीन दी गई है.
वहीं NTAGI के पैनल के एक सदस्य ने News18 से कहा कि इन वैक्सीन का इस्तेमाल बूस्टर डोज या बच्चों के लिए किए जाने की संभावना है. उन्होंने बताया कि देश की आबादी को अब बूस्टर डोज की जरूरत नहीं है क्योकि दक्षिण अफ्रीका में हुई स्टडी में यह पता चला है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट के संक्रमण से मानव शरीर में बहुत अधिक एंटीबॉडी या इम्युन रिस्पॉन्स उत्पन्न होता है. जो कि डेल्टा वेरिएंट की तुलना में ज्यादा है.
पैनल से जुड़े इस अधिकारी ने कहा कि, सभी सदस्य वैक्सीन से संबंधित डाटा की समीक्षा करेंगे और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन से इसकी तुलना करेंगे, जो कि वर्तमान में 15 से 17 वर्ष की आयु वाले बच्चों को दी जा रही है. अगर ये दोनों वैक्सीन बेहतर रहीं तो इन्हें मंजूरी दी जा सकती है. क्योंकि देश में बच्चों के टीकाकरण के लिए वैक्सीन की आवश्यकता है और कोवैक्सीन का उत्पादन सीमित है.अभी तक कोवोवैक्स और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन का इस्तेमाल निर्यात के लिए किया जा रहा था.