हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (HDFC) और एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) की नजर अपने मेगा-मर्जर के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मंजूरी पर है. केंद्रीय बैंक की हरी झंडी मिलने के बाद यह मार्केट वैल्यू के मामले में दुनिया के सबसे बड़े कर्जदाताओं में से एक बन जाएगा. एचडीएफसी बैंक के मैनेजमेंट का कहना है कि इस मेगा-मर्जर को आरबीआई का “आशीर्वाद” हासिल है, जिसने दोनों फाइनेंशियल कंपनियों के मर्जर को सरल रखने का निर्देश दिया है.
CNBCtv18 की रिपोर्ट के मुताबिक, एचडीएफसी बैंक के मैनेजमेंट ने मंगलवार को हुई विश्लेषकों की बैठक (analysts meeting) में कहा कि इस मर्जर को फाइनेंसियल रेगुलेटर का आशीर्वाद मिला है. हालांकि, टैक्स मामले की पेंच (टैक्स न्यूट्रैलिटी) के कारण सेंट्रल बैंक ने उसे मर्जर को सरल रखने के लिए कहा है. टैक्स न्यूट्रैलिटी का मतलब कर्जदाता के स्ट्रक्चर के कारण निवेशकों पर दोहरे टैक्स की मार नहीं पड़े. दोनों फाइनेंसियल कंपनियों को टैक्स मामले में न्यूट्रल रहकर एक-दूसरे की कुछ प्रकार की आर्थिक गतिविधियों में पक्ष नहीं लेना होगा.
रेगुलेटर की बाधाएं
एचडीएफसी के बोर्ड ने इस साल अप्रैल में जब मर्जर को मंजूरी दी, तो इसके सीईओ केकी मिस्त्री ने कहा था, “पहले एचडीएफसी-एचडीएफसी बैंक मर्जर की दिशा में रेगुलेटर की बाधाएं थीं. आरबीआई ने अनिवार्य किया था कि एक कंपनी एक विशिष्ट प्रोडक्ट का कारोबार ही कर सकती है.” रेगुलेटर के सख्त रवैया अपनाने की आशंका में मर्जर की घोषणा के दिन शेयर मार्केट में जोरदार उछाल के बाद से इन दोनों कंपनियों के शेयर में जमकर पिटाई हुई.
लोन बुक दोगुना करने का इरादा
एचडीएफसी बैंक के मैनेजमेंट ने मंगलवार को कहा था कि मर्जर के बाद हर 5 साल में दोगुना बैलेंसशीट बैंक के लिए कोई मुद्दा नहीं था. डोलैट कैपिटल ने एचडीएफसी बैंक के एनालिस्ट डे कार्यक्रम पर अपनी रिसर्च रिपोर्ट में कहा, “बैंक मर्जर के बाद भी हर 5 साल में लोन बुक को दोगुना करने की योजना बना रहा है.” उसके मुताबिक, मर्जर के बाद बैंक ब्रांच विस्तार को लेकर आक्रामक रणनीति अपनाएगा. डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को दोगुना करने के लिए अगले 3 वर्षों में सालाना 1,500-2,000 ब्रांच जोड़ेगा.