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UP By-Election 2022: नवंबर में यूपी की इन 10 तस्वीरों ने पैदा की बड़ी राजनीतिक हलचल, दूसरी ने यादव परिवार को असमंजस में डाला

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UP By-Election 2022: उत्तर प्रदेश में उपचुनाव के बीच नवंबर में कुछ तस्वीरों ने खूब सुर्खियां बटोरी हैं. जबकि एक तस्वीर ने तो पूरे यादव कुनबे की चिंता ही बढ़ा दी थी.

उत्तर प्रदेश में तीन सीटों पर उपचुनाव हो रहा है. नवंबर महीने में इस उपचुनाव के एलान के बाद से यूपी की राजनीतिक में कुछ तस्वीरों ने बड़ी सुर्खियां हासिल की. इसमें चाचा शिवपाल और अखिलेश यादव के फिर साथ आने की तस्वीर ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी.

मैनपुरी उपचुनाव के बीच बीजेपी नेता और नेताजी की छोटी बहू अपर्णा यादव ने यूपी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी से मुलाकात की. इस मुलाकात की तस्वीरों ने राज्य में बड़ी सियासी हलचल पैदा कर दी थी.

मैनपुरी उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को उम्मीदवार बनाया. ऐसे में स्पष्ट हो गया कि मैनपुरी में अभी नेताजी की विरासत को संभालने का काम डिंपल यादव के कंधों पर होगा.

चाचा शिवपाल सिंह यादव के साथ नाराजगी को दूर करते हुए अखिलेश यादव ने मंच पर उनके पैर छुए. मैनपुरी उपचुनाव में प्रचार के दौरान ये पहला मौका था जब चाचा और भतीजे एक साथ मंच पर नजर आए.

इसी मंच पर चाचा शिवपाल सिंह यादव से पहले अखिलेश यादव ने रामगोपाल यादव के भी पैर छुए.

मैनपुरी उपचुनाव की ये तस्वीर काफी मायने रखती है, ये पहला मौका था जब मंच पर एक साथ शिवपाल सिंह यादव, अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव एक साथ नजर आए.

यूपी में उपचुनाव के लिए भीम आर्मी चीफ ने सपा गठबंधन को समर्थन किया है. इस दौरान उन्होंने जयंत चौधरी से मुलाकात की फिर आरएलडी के लिए प्रचार भी किया. इस उपचुनाव में दलित वोटर्स बहुत मायने रखेंगे.

बीजेपी के खिलाफ विपक्ष की बन रही रणनीति और महागठबंधन के प्रयास को इस तस्वीर ने और बल दिया. मैनपुरी उपचुनाव में प्रचार करने के लिए अखिलेश यादव और डिंपल यादव के साथ मंच पर जेडीयू के महासचिव केसी त्यागी पहुंचे थे.

बीजेपी नेता अपर्णा यादव ने भूपेंद्र चौधरी से मुलाकात के कुछ दिन बाद राज्यपाल अनंदीबेन पटेल से मुलाकात की. जिसके बाद फिर कयास लगाए गए कि बीजेपी इ्न्हें राज्य में कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है.

यूपी में तीन सीटों पर हो रहे उपचुनाव के बीच बीएसपी ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है. ऐसे में दलित वोटर्स जिस भी पाले में जाएंगे, उनकी जीत लगभग तय हो जाएगी. इस वजह से अखिलेश यादव की ये तस्वीर संदेश के तौर पर काफी मायने रखती है.