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पीएम मोदी का इंटरव्यू: फ्रांस के अखबार से प्रधानमंत्री ने कहा- वैश्विक आधार बनेगी हमारी युवा शक्ति

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत-फ्रांस द्विपक्षीय संबंधों के 25 वर्ष पूर्ण होने पर फ्रांस यात्रा पर हैं. इस अवसर पर फ्रांस के अग्रणी दैनिक ‘लेस इकोस’ के नई दिल्ली प्रतिनिधि निकोलस बर्रे और क्लेमेंच पेरुचे को दिए गए उनके साक्षात्कार के संपादित अंश –

सवाल : भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है. इससे विश्व पटल पर भारत की स्थिति कैसे बदलेगी?

प्रधानमंत्री मोदी : भारत में हजारों वर्ष पुरानी समृद्ध संस्कृति है. वह दुनिया का सबसे युवा राष्ट्र है. भारत का यह युवा और कुशल मनुष्य बल आगामी दशक में पूरी दुनिया के लिए एक आधार साबित होगा. यह कुशल मनुष्य बल खुलेपन से विचार करने वाला, लोकतांत्रिक मूल्यों को सहेजने वाला, नए तकनीकी ज्ञान को अपनाने वाला और बदलती दुनिया के साथ ताल से ताल मिलाने वाला है. आर्थिक मंदी, अन्न सुरक्षा, महंगाई और सामाजिक क्लेश के चलते विश्व स्तर पर फैली निराशा को देखते हुए भारत में एक नई ऊर्जा, भविष्य के प्रति आशावाद और विश्व में अपना उचित स्थान प्राप्त करने की उत्सुकता दिखाई देती है. विश्व अशांति और विखंडन के मुहाने पर है. ऐसे में पूरी दुनिया में यह भावना है कि एकता, अखंडता, शांति और समृद्धि के लिए भारत अपरिहार्य है. शांति, सौहार्द्र और सहअस्तित्व पर आधारित हमारे मूल्य, हमारे जीवंत लोकतंत्र की सफलता, भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपरा व तत्वज्ञान, अंतरराष्ट्रीय कानून और शांति के प्रति हमारी वचनबद्धता के कारण दुनिया को भारत में अपना तारणहार नजर आ रहा है. यह मुझे अत्यंत महत्वपूर्ण लग रहा है.

सवाल : क्या आपको ऐसा लगता है कि ‘ग्लोबल साउथ’ का नेतृत्व स्वत: भारत के पास आ रहा है?

प्रधानमंत्री मोदी : भारत को किसी भी पद का अहंकार नहीं है. ‘ग्लोबल साउथ’ को शक्ति प्रदान करने के लिए सामूहिक शक्ति और सामूहिक नेतृत्व की जरूरत है. ‘ग्लोबल साउथ’ को काफी पहले से उसके अधिकारों से वंचित रखा गया है. यदि विश्व मंच पर ‘ग्लोबल साउथ’ को समान आदर, समान अधिकार मिले होते तो विश्व अधिक शक्तिशाली बन सकता था. इस क्षेत्र में भारत का स्थान इतना मजबूत है कि भारत के कंधे पर ‘ग्लोबल साउथ’ ऊंची उड़ान भर सकता है. ‘ग्लोबल साउथ’ के माध्यम से भारत ‘ग्लोबल नॉर्थ’ से उत्तम संबंध निर्मित कर सकता है. भारत इस मामले में एक पुल साबित हो सकता है.

सवाल : 2047 के भारत के बारे में आपका क्या दृष्टिकोण है? वैश्विक संतुलन में भारत के योगदान को आप कैसे देखते हैं?

प्रधानमंत्री मोदी : 2047 में भारत की आजादी को सौ वर्ष पूर्ण हो जाएंगे. हमारी महत्वाकांक्षा है कि तब तक भारत एक विकसित राष्ट्र बन जाए. भारत सभी नागरिकों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं एवं अवसर उपलब्ध करवाने वाला समावेशक देश बन जाएगा. सभी नागरिकों को उनके अधिकारों की गारंटी मिलेगी और देश में अपने स्थान तथा भविष्य के बारे में वो आश्वस्त रहेगा. भारत में शाश्वत जीवन शैली, स्वच्छ नदियां, जैव विविधता का संवर्धन करने वाले जंगल रहेंगे. भारतीय अर्थव्यवस्था अवसरों का केंद्र रहेगी, वैश्विक वृद्धि का इंजन बनेगी तथा कौशल व गुणवत्ता का स्रोत बन जाएगी. अंतरराष्ट्रीय कानून और बहुपक्षीय नियमों के अनुसार संचालित एक संतुलित और बहुध्रुवीय विश्व के निर्माण में हम शक्ति प्रदान करेंगे.

सवाल : क्या आप मानते हैं कि पश्चिमी मूल्यों को अभी भी सभी स्थानों पर स्वीकारा जा रहा है?

प्रधानमंत्री मोदी : दुनिया के हर कोने से विचार प्रक्रियाएं और दर्शन विशेष कालखंड के दौरान विशेष रूप से महत्वपूर्ण थे. उसी आधार पर हम यहां तक पहुंच सके हैं. पश्चिम, पूर्व से बेहतर है या फिर फलां-फलां सोच उससे बेहतर है, मैं इसे उस नजरिये से नहीं देखता. हजारों साल पहले लिखे गए हमारे वेद हमें हर तरफ से अच्छे विचारों को स्वीकार करना सिखाते हैं. हम खुद को किसी बक्से में बंद नहीं करते. हमारे अंदर दुनिया में जो कुछ भी अच्छा है उसे स्वीकार करने और अपनाने की क्षमता होनी चाहिए. इसलिए हमारे जी-20 सम्मेलन की अवधारणा ‘वसुधैव कुटुंबकम्‌’ है! हमने कहा है ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’… लेकिन एक दर्शन नहीं.

सवाल : इस वर्ष भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूरे हो रहे हैं. आप इन दोनों देशों के बीच संबंधों को कैसे देखते हैं?

प्रधानमंत्री मोदी : भारत और फ्रांस के बीच व्यापक साझेदारी है और इसमें राजनीतिक, रक्षा, सुरक्षा, आर्थिक, मानव-केंद्रित विकास और स्थिरता सहयोग के सभी क्षेत्र शामिल हैं. यह एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी है. जब समान दृष्टिकोण और मूल्यों वाले देश द्विपक्षीय या बहुपक्षीय व्यवस्थाओं या क्षेत्रीय संगठनों में एक साथ काम करते हैं तब वे किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम रहते हैं. हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साथ हमारी साझेदारी किसी देश के खिलाफ या विरोध में नहीं है. इस क्षेत्र में हमारे आर्थिक और संरक्षण हितों की रक्षा के लिए, व्यापारी और यात्री यातायात और व्यापार की दिशा सुनिश्चित करने के लिए हम प्रयासरत हैं. हमारा उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय कानून को कायम रखना है. हम अन्य देशों की क्षमता बढ़ाने और उन्हें स्वतंत्र संप्रभुता चुनने में मदद करने के लिए उनके साथ काम करते हैं. हमारे द्विपक्षीय संबंध मजबूत, विश्वसनीय और उत्कृष्ट हैं. यह अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में भी बने हुए हैं और लगातार नए अवसरों की तलाश में हैं. दोनों देश अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति प्रतिबद्ध हैं. दोनों इस बात पर सहमत हैं कि दुनिया बहुध्रुवीय होनी चाहिए.