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हीरा-सोना खोजने के लिए ई टेंडर जारी : छत्तीसगढ़ के किस हिस्से में होनी है तलाश… पढ़िए

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रायपुर। छत्तीसगढ़ के महासमुंद और कांकेर जिले में सोना और महासमुंद के ही बसना-2 खदान में हीरा मिलना कन्फर्म होने के बाद से शासन ने ई टेंडर जारी कर दिया है। जीएसआई के सर्वे के बाद इन ब्लॉकों में सोने और हीरे के होने की संभावना जताई गई, जिसके बाद ई टेंडर जारी किया गया।

अफसरों का कहना है कि, यह टेंडर केवल पूर्वेक्षण के लिए है और इसके लिए 21 अगस्त तक आवेदन मंगाए गए हैं।

बताया जा रहा है कि, 18 अगस्त तक टेंडर फार्म खरीदे जा सकते हैं। इसके लिए पिछले कई महीनों से सर्वे चल रहा था। इससे पहले भी एक हीरे की खदान और मिली थी, लेकिन वह मामला हाईकोर्ट में चला गया इस वजह से वहां पर खनन का काम शुरू नहीं हो पाया। वहीं गरियाबंद जिले के पायलीखंड के 4600 वर्गकिमी इलाके में हीरा मिलने की पुष्टि हो चुकी है।

लटक गया था मामला

यहां पूर्वेक्षण के लिए मध्यप्रदेश के समय में टेंडर जारी हुआ था। एक कंपनी को इसके लिए लाइसेंस दिया गया और उन्होंने सर्वे भी पूरा कर लिया लेकिन राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ के खनिज विभाग ने उस कंपनी का ठेका रद्द कर दिया था। इसके बाद मामला माइंस ट्रिब्यूनल में गया। जहां सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया गया। तब छत्तीसगढ़ सरकार ने ट्रिब्यूनल के आदेश को हाईकोर्ट में चैलेंज किया। फिलहाल यह मामला हाईकोर्ट में चल रहा है।

इतनी जमीन पर हीरा-सोना मिलने की उम्मीद

वहीं हाल ही में महासमुंद के चनत-जोगीदादर में रकबा के 176 हेक्टेयर की जमीन पर और कांकेर जिले में तुमरीसुर-गरदा 2 में रकबा 240 हेक्टेयर जमीन पर सोने की खदान और वहीं महासमुंद के बसना-2 में रकबा 2500 हेक्टेयर की जमीन पर हीरे के खदान होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।

पूर्वेक्षण के बाद होगी माइनिंग

अब इन खदानों के लिए पूर्वेक्षण का टेंडर जारी हुआ है। यानि जिस कंपनी को टेंडर मिलेगा, उसे पूर्वेक्षण का लाइसेंस दिया जाएगा और संबंधित कंपनी ही बताएगी कि खदानों में कितना पोटेंशियल है। इसके बाद माइनिंग लीज के लिए अलग टेंडर होगा और जिस कंपनी को टेंडर मिलेगी, वही खदान में माइनिंग कर सकेगी। पूर्वेक्षण में एक-दो साल भी लगने की संभावना है।