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Eris: भारत में क्या है ओमीक्रोन के नए वेरिएंट एरिस का हाल? कोविड पैनल चीफ ने दिया यह बयान

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Eris: कोरोना वायरस का कहर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले कई सालों से यह पूरी दुनिया में सफर कर रहा है। इसके नए-नए वेरिएंट पैदा होकर पूरी दुनिया की टेंशन बढ़ा रह हैं। इस बीच कोरोना वायरस के ओमीक्रोन के नए वेरिएंट EG.5.1 का पूरी दुनिया में कहर जारी है।

अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई इस महामारी का सामना कर रहे हैं। EG.5.1 को आमबोलचाल की भाषा में एरिस नाम दिया गया है। इस बीच भारत के कोविड पैनल चीफ डॉ. एन के अरोड़ा (Dr NK Arora) ने कहा कि भारत को एरिस से कोई खतरा नहीं है। यह वेरिएंट भारत में अप्रैल महीने में सामने आया था।

एरिस के बढ़ते कहर को देखते हुए जुलाई महीने में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने इस पर अपनी निगरानी बढ़ा दी थी। यह वेरिएंट अमेरिका और यूरोप के कई देशों में तांडव मचा चुका है। इसे ब्रिटेन में जून में पहली बार डिटेक्ट किया गया था। 31 जुलाई को इसे एक नए वेरिएंट के रूप में क्लासिफाई किया गया।

कोविड से निपटने के लिए भारत ने की यह तैयारी

NTAGI के एन के अरोड़ा कहा कहना है कि इन देशों की महामारी की स्थिति हमारे देशो से अलग है। डॉ. अरोड़ा ने न्यूज 18 से बात करते हुए कहा कि केंद्र सरकार इस महामारी से निपटने के लिए देश में सीवेज, सफाई व्यवस्था को मजबूत करने का काम कर रही है। 50 से ज्यादा शहरों के ज्यादा जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करके युद्ध स्तर पर इस महामारी से निपटने की तैयारी की गई है। इसमें हमने पोलियो जैसा मॉडल बनाया है। जिस तरह से पोलियो से निपटने के लिए योजना बनाई गई थी। ऐसी योजना बनाई जा रही है। इस नई योजना से कोरोना ही नहीं बल्कि टीबी, सेप्सिस और दूसरी अन्य बीमारियां भी हमारे रडार पर होंगी।

लोगों के इम्यून सिस्टम में आई मजबूती

उन्होंने इस बातचीत में आगे कहा कि हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि अलग-अलग देश की जनसंख्या पर रोगाणुओं और महामारी का प्रभाव अलग-अलग हो सकता है। हमारी जनसंख्या कई बार तमाम अलग-अलग तरीके के रोगाणुओं से संक्रमित होती है। इस संक्रमण के खिलाफ प्राकृतिक तौर पर प्रतिरोध क्षमता भी विकसित हो जाती है। ऐसे में किसी भी वायरस का प्रभाव लोगों के इम्यून सिस्टम पर निर्भर करता है।

अक्टूबर 2021 से कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में गिरावट

अरोड़ा ने आगे कहा कि अक्टूबर 2021 के बाद भारत में कोरोना की ऐसे वेरिएंट की पहचान नहीं हुई है। जिससे लोगों को अस्पताल में बड़ी संख्या में भर्ती करने की जररूरत पड़ी हो। भारत में एरिस वेरिएंट की मौजूदगी पहली बार अप्रैल में हुई थी। इससे पता चलता है कि हमारा INSACOG सर्विलेंस कितना मजबूता है। दुनिया के तमाम देशों के मुकाबले भारत में इस वेरिएंट की पहचान पहले कर ली गई थी।

जानिए क्या हैं एरिस के लक्षण

इस वेरिएंट के मुख्य लक्षण ओमीक्रोन के जैसे ही है। जैसे गले में खराश, नाक बहना, नाक का बंद होना, छींक आना, सूखी खांसी, सिरदर्द, कफ वाली खांसी, मांसपेशियों में दर्द और गंध आने की क्षमता का प्रभावित होना। हालांकि सांस लेने में तकलीफ, महक न आना और बुखार अब मुख्य लक्षण नहीं हैं। वारविक यूनिवर्सिटी के वायरोलॉजिस्ट प्रोफेसर लॉरेंस यंग ने कहा कि इस तरह के मामलों में बढ़ोतरी हाल के खराब मौसम के कारण हो सकती है। एरिस वायरल संक्रमण फैला रहा है। इसमें कुछ अन्‍य लक्षण भी सामने आ सकते हैं। बुजुर्ग और कमजोर इम्‍यूनिटी वालों पर इसका जल्‍दी असर हो सकता है। ऐसे में उन्‍हें अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।