बिहार में इंडी अलायंस में सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा तेज है. माना जा रहा है जल्द औपचारिक तौर पर सीट शेयरिंग पर जेडीयू आरजेडी कांग्रेस और लेफ्ट के बीच बात शुरू हो जाएगी. लेकिन, सीट शेयरिंग पर बात से पहले ही कांग्रेस की तरफ से पोजिशनिंग शुरू हो गई है. पार्टी के बिहार अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने पिछली बार लोकसभा चुनाव में महा गठबंधन में सीट बंटवारे का हवाला देते हुए इस बार फ्लेक्सिबल होने की सलाह दे दी है. यानी अखिलेश सिंह चाहते हैं कि कांग्रेस भी फ्लेक्सिबल होगी, लेकिन गठबंधन में शामिल जेडीयू आरजेडी और लेफ्ट को भी थोड़ा लचीला होना पड़ेगा.
इस बीच इंडी गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर बड़ी खबर यह भी आ गई है कि 14 जनवरी तक सीट बंटवारे का मामला टल गया है. दरअसल, 14 जनवरी तक कांग्रेस कोई बात नहीं करेगी. कांग्रेस प्रभारी मोहन प्रकाश, प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह, विधायक दल के नेता शकील अहमद खान की बैठक में यह निर्णय लिया गया है. बता दें कि 14 जनवरी से राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू हो रही है. दूसरी ओर यह भी जानकारी सामने आई है कि सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस ने गठबंधन को अपनी सूची भेज दी है.
आखिर क्या है अखिलेश सिंह का फॉर्मूला?
बिहार कांग्रेस अध्यक्ष का तर्क है कि बिहार में पिछली बार कांग्रेस 9 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. लिहाजा इस बार भी एक दो सीटों का ही अंतर हो. क्योंकि पिछली बार उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी पांच, जीतन राम मांझी की पार्टी तीन और मुकेश सहनी की पार्टी तीन सीटों पर चुनाव लड़ी थी.यानी कुल 11 सीटों पर ये तीनों क्षेत्रीय पार्टी चुनाव लड़ी थी. इस बार यह तीनों पार्टियां इंडिया अलायंस में नहीं हैं. उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी दोनों एनडीए का हिस्सा भी हो चुके हैं.
जदयू और राजद से क्या चाहती है कांग्रेस?
दूसरी तरफ जेडीयू जिसके 16 सांसद हैं वह बाद में इंडिया अलायंस में आई है. ऐसे में 16 सांसद वाली पार्टी आई है तो 11 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली तीनों पार्टियां गठबंधन से बाहर गई हैं. कुल अंतर 5 सीटों का ही है. यानी केवल पांच सीटें ही जेडीयू के आने के बाद सबको एडजस्ट करना पड़ेगा. ऐसे में कांग्रेस चाहती है कि यह पांच सीट जदयूस, राजद, कांग्रेस सभी मिलकर आपस में कम करें और सभी दल लचीला रुख अपनाए.