एक हफ्ते पहले टमाटर-प्याज के दामों में हुई बढ़ोत्तरी के बाद अब लहसुन की कीमतों ने होश उड़ा दिए हैं. थोक मंडी से लेकर खुदरा बाजार में लहसुन की कीमत करीब ढ़ाई से चार गुना तक बढ़ गई है.
जहां थोक में लहसुन 160 रुपये से लेकर 250 रुपये प्रति किलोग्राम में बिक रहा है वहीं रिटेल बाजार में 400 से 600 रुपये किलो तक बेचा जा रहा है. दामों में हुई बढ़ोत्तरी से दाल-सब्जी में तड़का लगाना अब भारी पड़ने वाला है.
टमाटर और प्याज की कीमतें 26 जनवरी के बाद से ही बढ़ने लगी थीं जो फरवरी में और भी ज्यादा हो गईं. मौसम की मार और मांग की तुलना में कम आवक के चलते टमाटर-प्याज के रेट देश के कई हिस्सों में उछाल मारने लगे. हालांकि अब लहसुन की कीमतों में आग लग गई है.
देश भर में रोजाना करीब 1 लाख कट्टा लहसुन की खपत होती है लेकिन पिछले कुछ दिनों से करीब 50 से 60 हजार कट्टा ही लहसुन मंडियों तक आ पा रहा है, जिसकी वजह से देशभर में करीब 40 से 50 हजार कट्टा लहसुन की मांग बनी हुई है और इसकी वजह से कीमत आसमान पर चढ़ गई हैं. थोक मंडी में ही लहसुन आज 160 से 250 रुपये किलो की कीमत पर बिका है.
थोक में महंगे हुए लहसुन की कीमतें रिटेल में कई गुना हो गई हैं. दिल्ली-एनसीआर ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों के खुदरा बाजार में भी लहसुन 400 से 600 रुपये किलो तक बेचा जा रहा है. जबकि पिछले साल फरवरी में इसी मंडी में लहसुन का रेट 50 से 100 रुपये प्रति किलोग्राम था.
बताया जा रहा है कि लहसुन की कीमत बढ़ने के पीछे पिछले साल लहसनु की फसल कम होना और इस वजह से फसल की आवक कम होना है. बता दें कि फरवरी के आखिर में देश के कई हिस्सों से लहसुन की नई फसल आती है लेकिन तब तक पुरानी फसल से आपूर्ति होती है. पिछले साल लहसुन की फसल कम हुई थी, ऐसे में नई फसल आने तक पुरानी फसल की आपूर्ति ठप हो गई है. लिहाजा मांग ज्यादा होने और पूर्ति न हो पाने से कीमतें बढ़ रही हैं.
अभी एमपी की फसल से देशभर में लहसुन भेजा जा रहा है. जबकि फरवरी के अंत तक राजस्थान और उत्तर प्रदेश से भी लहसुन की फसल निकलनी है. ऐसे में संभव है कि अभी कुछ और दिन लहसुन की कीमतें और बढ़ें. वहीं प्याज-टमाटर की बात करें तो रिटेल में 30 रुपये किलो तक मिलने वाला टमाटर 50 से 60 रुपये किलो मिल रहा है, वहीं प्याज भी पहले से महंगा हो गया है, जबकि फरवरी में दोनों ही सब्जियां सस्ती मिलती थीं.