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विदेश मंत्री एस जयशंकर सिंगापुर की तीन दिवसीय यात्रा, इन दो देशों के साथ भारत के संबंधों को लेकर पूछे गए सवालों पर ये टिप्पणियां…

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि रूस और अमेरिका के साथ भारत के संबंध विभिन्न तरीकों से संतुलन स्थापित करने की नीति पर आधारित है और भारत की मजबूत गुट निरपेक्ष संस्कृति के कारण इनमें से प्रत्‍येक के साथ गैर विशिष्ट आधार पर व्यवहार करने से यह संभव हो सका है।

सिंगापुर की तीन दिवसीय यात्रा पर आए जयशंकर ने सिंगापुर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय (एनयूएस) के दक्षिण एशियाई अध्ययन संस्थान (आईएसएएस) में अपनी पुस्तक ‘व्हाई भारत मैटर्स’ पर व्याख्यान सत्र के बाद इन दो देशों के साथ भारत के संबंधों को लेकर पूछे गए सवालों पर ये टिप्पणियां कीं।

उन्होंने कहा कि रूस और अमेरिका के साथ भारत के संबंध विभिन्न तरीकों से संतुलन स्थापित करने की नीति पर आधारित है। उन्होंने कहा कि इनमें से प्रत्‍येक के साथ गैर विशिष्ट आधार पर व्यवहार करने से यह संभव हो सका है। उनसे पूछा गया था कि भारत रूस और अमेरिका दोनों के साथ अपने संबंधों को लेकर कैसे संतुलन बना पाता है।

जयशंकर ने रूस और अमेरिका के साथ भारत के संबंधों की तुलना इसराइल और फलस्तीन के साथ भारत के संबंधों से की और उन्होंने गैर-विशिष्ट आधार पर देशों के साथ व्यवहार करने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, जब मैं इसराइल-फलस्तीन आऊंगा तो यही तर्क लेकर जाऊंगा। आप जानते हैं, आज हम रूस के साथ अच्छे संबंध, यूरोप के साथ अच्छे संबंध, अमेरिका के साथ अच्छे संबंध, किसी अन्य देश के साथ अच्छे संबंध कैसे स्थापित कर पाते हैं।

जयशंकर ने कहा, जिन देशों में मजबूत गुट निरपेक्ष संस्कृतियां हैं, उन्हें यह दुविधा नहीं है, क्योंकि वे पहले ही, एक तरह से अपनी पसंद बना चुके हैं। आप जानते हैं, उन्होंने एक विशेष मुद्दे पर एक बड़े समूह के साथ समझौता किया है। जो देश किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं, उन्हें इस बारे में खुद सोचना होगा।

जयशंकर ने स्वीकार किया कि यह पहली बार है जब उन्होंने किसी को (भारत) को ‘युवा अमेरिका’ के रूप में वर्णित करते हुए सुना है और कहा, मैं ईमानदारी से नहीं जानता कि इसका क्या मतलब निकाला जाएगा।