”देश में लोकसभा चुनावों के लिए गूगल विज्ञापन पारदर्शिता केंद्र के डाटा के मुताबिक 1 जनवरी से 10 अप्रैल तक राजनीतिक पार्टियों ने गूगल सर्च इंजन पर विज्ञापनों पर लगभग 117 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। जबकि इसी समयावधि में 2019 के चुनाव के दौरान विज्ञापनों पर खर्च की गई यह राशि करीब 10 करोड़ थी।”
”भाजपा ने सबसे ज्यादा 39 करोड़ खर्च किए” ;
”राजनीतिक विज्ञापनों पर सबसे अधिक खर्च करने वाली सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) है, जिसने 1 जनवरी से 10 अप्रैल तक गूगल विज्ञापनों पर 39 करोड़ रुपए या कुल राशि का एक तिहाई खर्च किया। इसके बाद विज्ञापन के लिए सरकार की नोडल एजेंसी संचार (सी.बी.सी.) का नंबर आता है जिसने विज्ञापनों पर 32.3 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।”
”मीडिया योजनाकारों और विज्ञापन एजेंसियों के अधिकारियों का कहना है कि डिजिटल विज्ञापन तुलनात्मक रूप से कम लागत पर अधिक लक्षित पहुंच के अवसर प्रदान करते हैं।”
”केंद्र की जन धन योजना सबसे ज्यादा विज्ञापन ; ”टैक प्रमुख के आंकड़ों से पता चलता है कि 1 जनवरी से 10 अप्रैल की अवधि के दौरान भाजपा ने गूगल पर कुल 76,800 विज्ञापन चलाए। जिस विज्ञापन पर इसने सबसे अधिक राशि खर्च की वह केंद्र की जन धन योजना को बढ़ावा देने वाला एक हिंदी भाषा का छवि विज्ञापन था।”
”यह विज्ञापन 10 फरवरी से 29 मार्च तक 49 दिनों तक चला। पार्टी द्वारा दूसरा सबसे बड़ा खर्च केंद्र की मुद्रा ऋण योजना को बढ़ावा देने वाले तमिल भाषा के वीडियो विज्ञापन पर था पिछले तीन महीनों में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में विज्ञापन चलाने पर सबसे अधिक राशि खर्च की है। ”
”कांग्रेस ने भी खर्च किए 7.55 करोड़ ‘आंकड़ों से पता चलता है कि कांग्रेस ने 1 जनवरी से गूगल पर विज्ञापनों पर 7.55 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, जबकि तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डी.एम.के. के लिए काम करने वाली एक रणनीति फर्म पॉपुल्स एम्पावरमेंट नैटवर्क प्राइवेट लिमिटेड ने 9.25 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।”
”उनके बाद इंडियन पी. ए. सी. कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड, राजनीतिक रणनीति फर्म इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी की होल्डिंग कंपनी है, जो पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और आंध्र प्रदेश में वाई.एस.आर. कांग्रेस पार्टी के लिए काम करती है।”
”भौगोलिक क्षेत्रों में, तमिलनाडु में पिछले तीन महीनों में गूगल पर सबसे अधिक राजनीतिक विज्ञापन देखे गए हैं, इस अवधि में राज्य में दिखाए गए विज्ञापनों पर कुल 15 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 9.86 करोड़ रुपये, आंध्र प्रदेश में 9.59 करोड़ रुपए और ओडिशा में 9.56 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।”