गाजा में बढ़ते मानवीय संकट के बाद अब इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. गाजा में फिलिस्तीनी लोगों के नरसंहार के खिलाफ पहले ही कई देश इजराइल के साथ राजनायिक रिश्ते खत्म कर चुके हैं.
अब इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट भी इजराइल के पीएम पर गिरफ्तारी के वारंट जारी कर सकता है. NBC की रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट इजराइल के पीएम के साथ इजराइली डिफेंस मिनिस्टर योव गैलेंट के खिलाफ भी गिरफ्तारी का वारंट जारी कर सकता है.
खबरों के मुताबिक, इजराइल वारंट को जारी होने से रोकने के लिए राजनयिक चैनलों के जरिए काम कर रहा है. इजराइल का सबसे मजबूत साथी अमेरिका ने इस वारंट को रोकने के लिए अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं.
2014 से हो रही जांच
ICC ने अभी तक इस रिपोर्ट की पुष्टि या खंडन नहीं किया है. ICC ने NBC को बताया कि वो फिलिस्तीन की स्थिति के संबंध में एक स्वतंत्र जांच कर रहे हैं और अभी इस स्तर पर कोई और टिप्पणी नहीं कर सकते हैं. ICC ने इजराइल के खिलाफ अपनी इंवेस्टिगेशन 2021 में शुरू की थी. ये जांच 2014 से वेस्ट बैंक और गाजा में इजरायली सेना और फिलिस्तीनी आतंकवादी समूहों के वॉर क्राइम के संबंध में की जा रही है. बता दें 2014 में इजराइल और हमास के बीच एक महीने तक युद्ध चला था.
ICC और ICJ में क्या फर्क ?
इंटरनेशनल कोर्ट जस्टिस और इंटरनेशनल क्रिमनल कोर्ट दोनों ही डच के शहर हेग में स्थित है. साल 2002 में रोम कानून के तहत ICC को नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध, युद्ध अपराध और ‘आक्रामकता के अपराध’ के लिए लोगों पर मुकदमा चलाने का काम सौंपा गया था. दूसरी ओर ICJ संयुक्त राष्ट्र की एक शाखा है जिसका काम देशों के बीच के विवादों को सुलझाना है.
वारंट जारी हुआ तो क्या होगी गिरफ्तारी?
अगर ICC नेतन्याहू की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी करती है, तो इजराइली पीएम को मुकदमे चलाने के लिए हेग ले जाने के संभावना नहीं है. इजराइल भी अमेरिका, रूस और चीन की तरह ही रोम के कानून और अदालत के अधिकार क्षेत्र को नहीं मानता है. लेकिन अगर नेतन्याहू अदालत को मान्यता देने वाले 124 देशों में से किसी की भी यात्रा करते हैं, तो वारंट से उन्हें गिरफ्तारी का खतरा हो सकता है.