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Employees Regularization: 7 लाख कर्मचारियों की चुनाव परिणाम पर टिकी निगाहें, कर्मचारियों की ये हैं मांग…

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Employees Regularization: 7 लाख कर्मचारियों की चुनाव परिणाम पर टिकी निगाहें, कर्मचारियों की ये हैं मांग…

Employees Regularization: आचार संहिता हटने के बाद कमेटी किस गति से काम कर सरकार को रिपोर्ट सौंपती है, इस पर प्रदेशभर के लाखों अनियमित कर्मचारियों की निगाहें टिकी हुई हैं।

लंबे अरसे से नियमितिकरण के लिए संघर्षरत छत्तीसगढ़ के लाखों कर्मचारियों को भाजपा सरकार से बड़ी उमीदें हैं। साय सरकार ने लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के पहले कमेटी का गठन कर दिया था, अब आचार संहिता हटने के बाद कमेटी किस गति से काम कर सरकार को रिपोर्ट सौंपती है, इस पर प्रदेशभर के लाखों अनियमित कर्मचारियों की निगाहें टिकी हुई हैं।

माना जा रहा है कि प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी आचार संहिता के बाद इस मामले में जरूर कुछ न कुछ एक्शन लेगी। शासन द्वारा गठित कमेटी का अध्यक्ष निहारिका बारिक प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी को बनाया गया है। जबकि, सदस्य के रूप में प्रमुख सचिव विधि एवं विधायी विभाग, सचिव सामान्य प्रशासन विभाग, सचिव वित्त विभाग और सचिव सामान्य प्रशासन विभाग (शासकीय कर्मचारी कल्याण शाखा) शामिल हैं।

Employees Regularization: यहां हैं सबसे अधिक अनियमित कर्मचारी
शासन के विभिन्न विभागों में थोक के भाव में हजारों कर्मचारी आउटसोर्सिंग (प्लेसमेंट), सेवा प्रदाता, ठेका, जॉबदर, संविदा, दैनिक वेतनभोगी, कलेक्टर दर, श्रमायुक्त दर पर कार्यरत श्रमिक, मानदेय, अशंकालिक, पृथक अनियमित कर्मचारी तैनात हैं। जानकारी के अनुसार, शासन के सभी विभागों को मिलाकर प्रदेश में सात लाख से अधिक अनियमित कर्मचारी तैनात हैं। सबसे अधिक अनियमित कर्मचारियों की संया नगरीय निकाय, वन विभाग, पुलिस, ऊर्जा, कृषि, पंचायत विभाग में हैं।
कई बार कर चुके हैं धरना- प्रदर्शन विभिन्न विभागों में तैनात कर्मचारियों ने अपनी-अपनी मांगों को लेकर कांग्रेस सरकार में कई बार आंदोलन, धरना-प्रदर्शन कर चुके हैं। इसके अलावा, मंत्रियों, विधायकों और शासन के आला अधिकारियों तक को ज्ञापन सौंप चुके हैं।

Employees Regularization: कर्मचारियों की ये हैं मांग.

प्रशिक्षित गौसेवक, मैत्री 1200
मीटर रीडर 6000
कैपा सुरक्षा श्रमिक 29
आयुष योग प्रशिक्षक 182
पंचायत भृत्य 5000
पंचायत कंप्यूटर ऑपरेटर 5654
किसान मित्र 9254
स्कूल सफाई कर्मी 43301
मध्याह्न रसोइया 87025
मितानिन 72240
आंगनबाड़ी /मिनी कार्यकर्त्ता 52474
आंगनबाड़ी सहायिका 46660
राजस्व ग्राम अधिकारी (पटेल) 16000
स्वछता दीदी 9000
बिहान कैडर 115632
(पेपोइंट, बीसी सखी ) डिजिटल महिला 5000
बहुउद्देशीय पुनर्वास सहायक कार्यकर्त्ता 28
दिव्यांग कार्यकर्ता 1600
पृथक अनियमित कर्मचारी- 39934

दैनिक वेतनभोगी, कलेक्टर दर, श्रमायुक्त दर, संविदा, समतुल्य मानदेय/ जॉबदर (न्यूनतम वेतन/ संविदा दर तुल्य) पर कार्यरत कर्मचारियों को तत्काल नियमित/ स्थायीकरण किया जाए। जॉबदर में कार्यरत कर्मचारियों को मासिक न्यूनतम वेतन पर समायोजित किया जाए तथा नियत अवधि में नियमितीकरण/ स्थायीकरण हो।

न्यूनतम मानदेय कर्मचारियों को एक नियत अवधि में नियमितीकरण/ स्थायीकरण किया जाए। विगत वर्षों में निकाले और छंटनी किए गए अनियमित कर्मचारियों को पुन: बहाल किया जाए। अंशकालीन कर्मचारियों को पूर्णकालीन किया जाए तथा एक नियत अवधि में नियमितीकरण/ स्थायीकरण किया जाए। आउटसोर्सिंग (प्लेसमेंट) के माध्यम से कार्यरत कर्मचारियों को विभाग में समायोजित पश्चात् एक नियत अवधि में नियमितीकरण/ स्थायीकरण किया जाए। ठेका/समिति के माध्यम से कार्यरत कर्मचारियों को विभाग में समायोजित कर, एक नियत अवधि में नियमितीकरण/ स्थायीकरण किया जाए। सेवा प्रदाता के रूप में कार्यरत कर्मचारियों को विभाग में समायोजित कर, एक नियत अवधि के भीतर नियमितीकरण/ स्थायीकरण किया जाए।

धरना-प्रदर्शन के दौरान अनियमित कर्मचारियों पर दर्ज मुकदमा को शून्य किया जाए।

प्लेसमेंट (आउटसोर्सिंग)-40615
ठेका/सेवा प्रदाता-30946
मानदेय-44654
जॉब दर-6832
अंशकालीन-5831
दे.वे.भो./कलेक्टर दर/ श्रमायुक्त दर श्रमिक-31821
संविदा-49935

Employees Regularization

Employees Regularization: सिर्फ दिखावे के लिए न हो कमेटी
कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिए शासन द्वारा गठित कमेटी की बैठक आचार संहिता हटने के बाद होगी। इसके बाद कर्मचारी संघों के पदाधिकारियों से भी उनकी समस्याएं सुनी जाएंगी। इसके बाद कमेटी द्वारा रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजा जाएगा। – निहारिका बारिक, प्रमुख सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी सामान कार्य करने के बावजूद ये नियमित कर्मचारी से आधे से कम वेतन में कार्य करने को विवश हैं। जनवरी 2014 एवं मार्च 2019 में भी शासन द्वारा कमेटी गठित की गई थी, लेकिन कमेटी की कोई अनुशंसा प्रकाश में नहीं आई। इससे प्रदेश के अनियमित कर्मचारियों को आशंका है कि यह कमेटी भी दिखावा मात्र का न हो।