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क्‍या है स्‍क्रैमजेट इंजन, जिससे आसमान में राज करेगा भारत

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स्‍क्रैमजेट इंजन का सफलतापूर्वक टेस्टिंग कर भारत दुनिया के उन गिनेचुने देशों की श्रेणी में आ गया है, जिनके पास यह अल्‍ट्रा मॉडर्न टेक्‍नोलॉजी है. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) के साइंटिस्‍ट ने वह कर दिखाया है, जिसका लंबे समय से इंतजार था. स्‍क्रैमजेट इंजन बनाने की क्षमता हासिल करने के बाद भारत के लिए हाइपरसोनिक मिसाइल बनाना काफी आसान हो जाएगा. भारत ने स्‍क्रैमजेट इंजन का 1000 सेकेंड से ज्‍यादा समय तक टेस्‍ट किया. भारत इस मामले में अमेरिका और चीन से भी आगे निकल गया है. अमेरिका ने 240 सेकेंड तक की टेस्टिंग की रिपोर्ट की है. चीन की भी कमोबेश यही स्थिति है. आतंकवादियों को पनाह देने में अव्‍वल पाकिस्‍तान तो इस टेक्‍नोलॉजी के मामले में आसपास भी नहीं है. पाकिस्‍तान की लॉन्‍ग रेंज की मिसाइलें – शाहीन और गौरी – अब भारत के सामने पानी भी नहीं मांगेंगी. अब सवाल यह है कि स्‍क्रैमजेट इंजन डेवलपक करने की तकनीक इतना महत्‍वपूर्ण क्‍यों हैं और इसका आने वाले समय में क्‍या असर पड़ सकता है?

स्‍क्रैमजेट का पूरा नाम सुपरसोनिक कंब्‍यूस्‍टन रैमजेट (Supersonic Combustion Ramjet) है. स्‍क्रैमजेट इंजन की मदद से अल्‍ट्रा हाई-स्‍पीड वाले जेट या फिर मिसाइलें डेवलप की जा सकती हैं. इससे हाइपरसोनिक मिसाइलों को डेवलप करने में काफी मदद मिलेगी. बता दें कि हाइपरसोनिक क्षमता वाले इंजन से लैस मिसाइलें 5 मैक (ध्‍वनि की रफ्तार से 5 गुना ज्‍यादा) या उससे ज्‍यादा की स्‍पीड से टारगेट तक पहुंचने में सक्षम होती हैं. यह क्षमता दुनिया के गिने-चुने देशों के पास ही है. अब भारत भी उनमें शामिल हो गया है. स्‍क्रैमजेट इंजन का वजन ट्रेडिशनल इंजन से कामी कम होता है, ऐसे में मिसाइलें ज्‍यादा से ज्‍यादा पेलोड अपने साथ ले जा सकेंगी. इसका मतलब यह हुआ कि इस तरह के इंजन से लैस मिसाइलें ज्‍यादा घातक और विनाशकारी साबित होंगी