सिंधु जल संधि को ठंडे बस्ते में डालने से भारत को एक बड़ा मौका मिला है. इससे भारत जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा, रतले और पकाल दुल जैसे हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स को तेजी से आगे बढ़ा सकता है. अब इन प्रोजेक्ट्स को सिर्फ ऊर्जा के स्रोत के रूप में नहीं, बल्कि पाकिस्तान पर रणनीतिक दबाव बनाने के साधन के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
पाकिस्तान इस कदम से साफ तौर पर घबराया हुआ नजर आ रहा है. पाकिस्तान सरकार ने इसे ‘युद्ध का ऐलान’ बताया है. वहीं पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के नेता बिलावल भुट्टो ने धमकी दी है कि ‘सिंधु नदी में या तो हमारा पानी बहेगा या उनका (भारत का) खून बहेगा.’
पाकिस्तान पर दिखने लगा भारत की सख्ती का असर
सरकार से जुड़े शीर्ष सूत्रों का कहना है कि भारत के इस कदम का मनोवैज्ञानिक असर पाकिस्तान में पहले से दिखने लगा है. पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टियों पर अपने नागरिकों के दबाव को लेकर चिंता बढ़ गई है, खासकर जब भारत पश्चिमी नदियों के पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने की बात कर रहा है.