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“इन चीजों पर आज तक क्यों नहीं लगाई गई GST? देखें पूरी लिस्ट”

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“इन चीजों पर आज तक क्यों नहीं लगाई गई GST? देखें पूरी लिस्ट”

भारत में जीएसटी 1 जुलाई 2017 को लागू हुआ था. इसने भारत के टैक्स सिस्टम को सरल बनाया, लेकिन कुछ आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं को इससे छूट दी गई है. चलिए जानते हैं कि ऐसा क्यों है और कौन सी चीजें इस सूची में शामिल हैं.

जीएसटी छूट का कारण जीएसटी छूट का मुख्य उद्देश्य सामाजिक कल्याण, आर्थिक विकास और आवश्यक वस्तुओं को किफायती बनाए रखना है. सरकार ने उन वस्तुओं और सेवाओं को छूट दी है, जो आम लोगों की बुनियादी जरूरतों से जुड़ी हैं या जिनका आर्थिक और सामाजिक महत्व है. इनमें खाद्य पदार्थ, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और कृषि से जुड़े उत्पाद शामिल हैं. इसके अलावा, छोटे व्यवसायों और निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए भी कुछ छूट दी गई हैं.

GST से छूट प्राप्त वस्तुओं की सूची  कृषि उत्पाद ताजा फल, सब्जियां, बिना प्रोसेस्ड अनाज (जैसे चावल, गेहूं, दाल), बुवाई के बीज, जैविक खाद और पशु चारा. ये छूट किसानों को समर्थन देने और खाद्य कीमतों को किफायती रखने के लिए दी गई है.

खाद्य पदार्थ ताजा दूध, दही, छाछ, अंडे, नमक, चीनी और बिना ब्रांड वाले आटे को जीएसटी से छूट है. ये रोजमर्रा की जरूरतें हैं जिन्हें सस्ता रखना सरकार की प्राथमिकता है. स्वास्थ्य सेवाएं और सामान मानव रक्त, टीके, जीवन रक्षक दवाएं, हियरिंग एड्स, व्हीलचेयर और डायग्नोस्टिक किट. ये छूट स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने के लिए हैं.

शैक्षिक सामग्री किताबें, समाचार पत्र, स्लेट, चाक और शैक्षिक उपकरण. शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ये छूट दी गई हैं. धार्मिक और चैरिटेबल सेवाएं धार्मिक समारोह, पूजा सेवाएं और चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा दी जाने वाली सेवाएं. ये सामाजिक कल्याण को प्रोत्साहित करती हैं.

सार्वजनिक परिवहन गैर-वातानुकूलित रेल, मेट्रो और बस सेवाएं आमतौर पर जीएसटी से मुक्त होते हैं. अन्य कच्चे जूट, रेशम, खादी, हथकरघा उत्पाद और जीवित पशु (वाणिज्यिक प्रजनन को छोड़कर). ये पारंपरिक उद्योगों और पर्यावरण को समर्थन देते हैं.

गैर-जीएसटी उत्पाद पेट्रोल, डीजल और मानव उपभोग के लिए शराब. ये जीएसटी के दायरे से बाहर हैं. छूट क्यों दी जाती है? ये छूट सामाजिक और आर्थिक कारणों से दी जाती हैं. बुनियादी जरूरतों जैसे भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य पर कर लगाने से आम लोगों पर बोझ बढ़ेगा. कृषि और छोटे व्यवसायों को समर्थन देने के लिए भी छूट जरूरी है. साथ ही निर्यात को शून्य-दर पर कर लगाकर वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया जाता है.