CG: संसाधनों के समुचित सदुपयोग से विकास को नई रफ्तार, खनिज प्रबंधन में डिजिटल युग की नई शुरुआत ..
राज्य में प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता उनके आर्थिक विकास को सीधे तौर पर प्रभावित करती है। संसाधन संपन्न राज्यों के पास अन्य राज्यों की तुलना में तेजी से तरक्की के अवसर होते हैं। छत्तीसगढ़ देश के सर्वाधिक खनिज और वन संसाधन संपन्न राज्यों में से एक है, लेकिन पूर्वकालिक परिस्थितियों में संसाधनों का समुचित सदुपयोग ना हो पाने के चलते आर्थिक और सामाजिक तरक्की के रास्ते प्रभावित हुए। यहां कोयला, लौह अयस्क, चूना पत्थर, बॉक्साइट, सोना, निकल, क्रोमियम आदि कुल 28 खनिजों के भंडार मौजूद हैं। वहीं दूसरी तरफ लगभग 50% वन क्षेत्र वाले छत्तीसगढ़ के पास हरियाली का अथाह भंडार है।
राज्य के खनिज राजस्व में राज्य के गठन के बाद 30 गुना वृद्धि हुई है, जो कि वित्त वर्ष 2023‑24 में ₹13,000 करोड़ और अप्रैल 2024‑फरवरी 2025 के दौरान ₹11,581 करोड़ रहा। खनिज राजस्व ने राज्य की कुल आय में लगभग 23% का योगदान दिया, जीएसडीपी में लगभग 11% योगदान प्रदान किया। खनिज राजस्व में बढ़ोतरी से जनकल्याणकारी योजनाओं पर राज्य सरकार ज्यादा से ज्यादा खर्च कर सकेगी और आम जनता का जीवन स्तर बेहतर होगा। इस दृष्टिकोण से खनन आम जनता, जंगलों और प्रदेश की समृद्धि के लिए जरूरी है।
अब तक 44 खनिज ब्लॉक की ई‑नीलामी हो चुकी है, जिनमें चूना पत्थर, लौह अयस्क, बॉक्साइट, सोना, निकल‑क्रोमियम, ग्रेफाइट, ग्लूकोनाइट और लिथियम शामिल हैं। भारत का पहला लिथियम ब्लॉक (कोरबा, कटघोरा) छत्तीसगढ़ में नीलामी के माध्यम से सफलतापूर्वक आवंटित हुआ। 2025 में लौह अयस्क के नए ब्लॉकों की नीलामी की प्रक्रिया तेज़ है, खासकर बैलाडीला क्षेत्र में।
वित्त वर्ष 2018-19 में ओडिशा का खनन राजस्व 10,499 करोड़ रुपये था, जबकि इसी अवधि में छत्तीसगढ़ का राजस्व 6110 करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2024-25 में, ओडिशा का खनन राजस्व लगभग 45,000 करोड़ रुपये हो गया, जबकि छत्तीसगढ़ का खनन राजस्व लगभग 14,000 करोड़ रुपये था। ओडिशा राज्य में उल्लेखनीय राजस्व वृद्धि मुख्य रूप से नीलाम या आवंटित खनिज ब्लॉकों के संचालन के कारण है। छत्तीसगढ़ में समान राजस्व वृद्धि हासिल करने के लिए, आवंटित या नीलाम किए गए खनिज ब्लॉकों के संचालन में तेजी लाना महत्वपूर्ण है, जो ओडिशा में मिली सफलता को दर्शाता है।