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“भिंड में भाजपा विधायक और कलेक्टर आमने-सामने, धरने के बीच हुई तीखी नोकझोंक”

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“भिंड में भाजपा विधायक और कलेक्टर आमने-सामने, धरने के बीच हुई तीखी नोकझोंक”

मध्यप्रदेश के भिंड जिले में बुधवार को एक अजीबो-गरीब स्थिति देखने को मिली, जब भाजपा विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाहा और कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव आमने-सामने आ गए। विवाद इतना बढ़ा कि विधायक ने गुस्से में कलेक्टर की ओर हाथ तक उठा लिया।

मामला जिले में खाद संकट और माइनिंग प्रभार से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है।

जानकारी के मुताबिक, भाजपा विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाहा बुधवार को कलेक्टर के बंगले के बाहर धरने पर बैठ गए। विधायक की मुख्य मांग थी कि जिले में चल रहे खाद संकट का समाधान किया जाए और आरआई से माइनिंग का प्रभार हटाया जाए। इसी दौरान कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव वहां पहुंचे और दोनों के बीच तीखी नोकझोंक शुरू हो गई।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विधायक कुशवाहा इतने गुस्से में थे कि उन्होंने कलेक्टर को घूंसा मारने के लिए हाथ तक उठा लिया। हालांकि, मौजूद लोगों ने उन्हें रोक दिया और स्थिति बिगड़ने से बचा ली। बहस के दौरान कलेक्टर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जिले में रेत चोरी नहीं होने दी जाएगी। इस पर भड़कते हुए विधायक ने कलेक्टर को ही “रेत का सबसे बड़ा चोर” कह दिया।

धरना स्थल पर कुछ देर तक हंगामा मचा रहा। बाद में स्थिति को संभालने के लिए भाजपा नेताओं ने हस्तक्षेप किया। बताया जा रहा है कि इस बीच विधायक ने जिले के प्रभारी मंत्री प्रह्लाद पटेल से फोन पर बात की। मंत्री पटेल ने विधायक को आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। इसके बाद विधायक ने अपना धरना समाप्त कर दिया।

इस घटना ने जिले की राजनीति में हलचल मचा दी है। एक ओर भाजपा विधायक का यह आक्रामक रुख चर्चा में है, तो दूसरी ओर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सार्वजनिक मंच पर हुई इस तरह की तीखी झड़प ने सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्षी दलों ने इसे शासन-प्रशासन के बीच समन्वय की कमी करार दिया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि खाद संकट और अवैध खनन जैसे मुद्दों पर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच सहयोग आवश्यक है, लेकिन जब दोनों ही पक्ष आमने-सामने आ जाते हैं तो आम जनता का भरोसा डगमगाता है। किसान संगठनों ने भी खाद संकट का समाधान जल्द से जल्द निकालने की मांग की है।

फिलहाल जिले में माहौल गरम है और विधायक व कलेक्टर की यह भिड़ंत लोगों की जुबान पर बनी हुई है। अब देखना होगा कि प्रभारी मंत्री के हस्तक्षेप के बाद स्थिति कैसे संभलती है और क्या वाकई विधायक की मांगों पर अमल होता है या नहीं।