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“भारत-चीन पर पुतिन का ट्रंप को सीधा मैसेज, जानें किस ओर इशारा कर रहे रूसी राष्ट्रपति”

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“भारत-चीन पर पुतिन का ट्रंप को सीधा मैसेज, जानें किस ओर इशारा कर रहे रूसी राष्ट्रपति”

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चीन से सीधा संदेश दिया है. बुधवार को चीन में हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुतिन ने एक बार फिर बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था यानी मल्टीपोलर वर्ल्ड ऑर्डर की मांग दोहराई. चीन की चार दिन की यात्रा पूरी करने के बाद पुतिन ने कहा कि भारत और चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बढ़ते वजन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

अब समय आ गया है कि दुनिया की राजनीति या सुरक्षा पर किसी एक देश का दबदबा न रहे. उन्होंने कहा कि भारत और चीन जैसे आर्थिक दिग्गज मौजूद हैं,

हमारी अर्थव्यवस्था भी क्रय शक्ति समानता (PPP) के हिसाब से टॉप-4 में है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोई एक देश राजनीति या सुरक्षा में हावी हो. सब बराबर होने चाहिए. उन्होंने एकध्रुवीय दुनिया यानी यूनिपोलर वर्ल्ड के मॉडल को पुराना और नाइंसाफी करार दिया. तो आखिर यह बाइपोलर वर्ल्ड ऑर्डर है क्या? और पुतिन जिन देशों की बात कर रहे हैं, वे कौन-कौन से हैं?

पुतिन का इशारा किस तरफ पुतिन ने साफ किया कि नई बहुध्रुवीय दुनिया पुराने साम्राज्यवादी ढाँचे की नकल नहीं करेगी और न ही कोई नया दबंग ताकत पैदा होगा.

उन्होंने BRICS और SCO जैसे मंचों को इसका उदाहरण बताते हुए कहा कि यहाँ सभी देश बराबरी से भागीदारी करते हैं. दरअसल, शीत युद्ध के बाद से वैश्विक राजनीति में अमेरिका ही सबसे बड़ी ताकत बना रहा. इस दौर को unipolar world ऑर्डर कहा गया, जहाँ एक ही सुपरपावर का दबदबा था.

मल्टीपोलर वर्ल्ड ऑर्डर क्या है लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. चीन, भारत, रूस और ब्राजील जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाएँ न सिर्फ तेजी से बढ़ रही हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी आवाज भी बुलंद कर रही हैं.

मल्टीपोलर वर्ल्ड ऑर्डर का मतलब है कि वैश्विक फैसले सिर्फ एक देश नहीं, बल्कि कई मजबूत देशों और समूहों की ओर से मिलकर तय किए जाएँ. BRICS और SCO जैसी ग्रुपिंग्स इसी सोच की झलक हैं, जहाँ सदस्य देश बराबरी से भागीदारी की बात करते हैं. आसान भाषा में समझें तो बहुध्रुविय दुनिया का मतलब है एक ऐसा इंटरनेशनल सिस्टम जहां कोई अकेला बॉस न हो बल्कि कई देशों की ताकत और हित एक साथ मिलकर वैश्विक राजनीति और सुरक्षा का संतुलन तय करें. ट्रम्प की अमेरिका फर्स्ट नीति का मकसद आर्थिक संरक्षणवाद और सैन्य ताकत से फिर से अमेरिका की बादशाहत कायम करना है जिसे पुतिन ने चुनौती दी है.

कौन-कौन है मुख्य खिलाड़ी भारत-  सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है. भारत का संबंध पश्चिम और रूस, चीन के साथ भी हैं.

चीन- अमेरिका को टक्कर देने वाली इकोनॉमी और टेक्नोलॉजी पावर. ट्रंप ने टैरिफ लगाकर चीन को झुकाना चाहा मगर ऐसा हुआ नहीं.

रूस-  सैन्य ताकत और ऊर्जा संसाधनों के जरिए अहम भूमिका निभाता है.

ब्राजील-लैटिन अमेरिका की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, BRICS का अहम हिस्सा.

दक्षिण अफ्रीका -अफ्रीका में राजनीतिक और आर्थिक नेतृत्व का दावा करता है.

”कुछ बड़े समूह भी है जो मल्टीपोलर वर्ल्ड ऑर्डर को बढ़ावा दे रहे हैं. जैसे BRICS (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका), SCO- शंघाई सहयोग संगठन (चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान + मध्य एशियाई देश).”’

”तीसरा G20, भले ही ये एक ग्लोबल मंच है, लेकिन इसमें उभरती अर्थव्यवस्थाएँ अमेरिकी यूरोपीय दबदबे को संतुलित करती हैं. इसके अलावा इंडोनेशिया, सऊदी अरब, ईरान जैसे देश भी अक्सर मल्टीपोलर वर्ल्ड का समर्थन करते हैं, क्योंकि वे नहीं चाहते कि सिर्फ अमेरिका या पश्चिम ही नियम तय करें.”’/