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“देश में भारी मॉनसूनी बारिश के बावजूद फसलें सुरक्षित, कृषि उत्पादन पर नहीं असर! जानिए क्या कहते हैं आंकड़े”

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मॉनसूनी बारिश से भारत के कई राज्यों में तबाही देखने को मिली है. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के हफ्तों में उत्तर भारत के कई हिस्सों में भारी बारिश, बाढ़ और बादल फटने की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें कई लोगों की मौत हुई है.

वहीं, दस लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं. इस मौसम के चलते खेतों में किसानों की फसलों को भी नुकसान पहुंचा है. हालांकि, ताजा बुवाई के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत के कुल कृषि उत्पादन पर इन मॉनसूनी चुनौतियों का नकारात्मक असर पड़ने की संभावना नहीं है.

अगस्त में हुई भारी बारिश अगस्त कई सालों में सबसे ज्यादा बारिश वाला महीना रहा है और सितंबर में भी भारत के कुछ हिस्सों में अब तक सामान्य से अधिक बारिश हो चुकी है. अगस्त के आखिरी हफ्ते और सितंबर के पहले हफ्ते में हुई भारी बारिश ने पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में बाढ़ के हालात पैदा किए हैं जिससे लोगों को नुकसान हुआ है.

बारिश से फसलों को कितना नुकसान? भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, इस साल के मॉनसून सीजन में भारत में अब तक औसत के मुकाबले 7.6 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है. पंजाब और हरियाणा जैसे दो बड़े खरीफ राज्यों में फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचने की खबरें भी सामने आई हैं. दूसरी तरफ, बिहार और असम जैसे राज्यों में मॉनसून की कमी 30 प्रतिशत से ज्यादा रही है, जिससे वहां खरीफ की बुवाई पर असर पड़ने की संभावना है.

हालांकि, पिछले पांच सालों के आंकड़े बताते हैं कि गेहूं, मक्का और मोटे अनाज जैसी फसलों के मामले में बुवाई क्षेत्र और उत्पादन के बीच लगभग वन-टू-वन का संबंध रहा है, यानी जब बुवाई का क्षेत्र बढ़ता है, तो उत्पादन भी आमतौर पर बढ़ता है. उदाहरण के तौर पर, चावल की बात करें तो 2020-21 से लेकर अब तक (केवल 2022-23 को छोड़कर) हर साल बुवाई का क्षेत्रफल बढ़ा है, इसी तरह चावल का उत्पादन भी 2022-23 को छोड़कर, हर साल थोड़ा-थोड़ा बढ़ा है.

क्या कहते हैं आंकड़े? लेटेस्ट सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल खरीफ धान की बुवाई का कुल क्षेत्र 4.7 प्रतिशत बढ़ा है. सात प्रमुख खरीफ फसलों में से चार की बुवाई का क्षेत्र बढ़ा है, जबकि तिलहन, जूट और कपास में मामूली गिरावट देखी गई है. मोटे अनाजों में सबसे ज्यादा बढ़त देखने को मिली है, इनमें बुवाई का क्षेत्र 6.7 प्रतिशत बढ़ा है.

लगातार चार साल की गिरावट के बाद इस साल दालों की बुवाई का क्षेत्र भी बढ़ा है, यह बात उत्साहजनक है कि हाल के सालों में बुवाई का क्षेत्र कम होने के बावजूद 2024-25 में दालों का उत्पादन करीब 7.5 प्रतिशत बढ़ा है. मजबूत फसल उत्पादन, महंगाई को काबू करने में मदद करता है.