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“शराब के शौकीनों ने दिल्ली सरकार को किया मालामाल, राजस्व में 12 फीसदी की बढ़ोतरी”

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दिल्ली में शराब के शौकीनों ने रेखा गुप्ता सरकार का गजब फायदा करा दिया। अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि शराब की बिक्री में वृद्धि के साथ, दिल्ली सरकार ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में आबकारी राजस्व संग्रह में पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 12 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, VAT सहित आबकारी राजस्व, अप्रैल-सितंबर 2024-25 के दौरान 3,731.79 करोड़ था। यह चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में बढ़कर 4,192.86 करोड़ हो गया है।

आबकारी विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि 2025-26 की पहली छमाही का आबकारी राजस्व बढ़ने की संभावना है, क्योंकि VAT के आँकड़े केवल 16 सितंबर तक ही उपलब्ध थे। अधिकारी ने आगे कहा, “बिक्री में वृद्धि के कारण 2025-26 के लिए निर्धारित ₹6,000 करोड़ के आबकारी राजस्व लक्ष्य का आधा निशान पार कर लिया गया है। त्योहारी सीजन शुरू होने और दिवाली तथा नए साल के आसपास बिक्री में उछाल आने से उम्मीद है कि वार्षिक लक्ष्य को पार करने में मदद मिलेगी।”

क्या कहते हैं आंकड़े?

आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-सितंबर 2024-25 में संचयी मासिक आबकारी प्राप्तियां (VAT को छोड़कर) 279.81 करोड़ थीं। चालू वर्ष में यह 84.86 प्रतिशत बढ़कर 517.26 करोड़ हो गईं। VAT को छोड़कर राजस्व अप्रैल-सितंबर 2024-25 में 2,598.04 करोड़ था। चालू वर्ष में, यह 17 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 3,043.39 करोड़ हो गया। अधिकारियों ने बताया कि विभाग ने त्योहारी सीजन के लिए समय पर ऑर्डर सुनिश्चित करने और स्टॉक तैयार रखने के लिए सरकारी निगमों द्वारा संचालित दुकानों को निर्देश जारी किए हैं।

शहर में 700 से अधिक खुदरा शराब की दुकानें हैं, जिनका संचालन दिल्ली सरकार के चार निगमों द्वारा किया जाता है। उन्होंने आगे बताया कि बजट 2025-26 में आबकारी राजस्व का लक्ष्य 7,000 करोड़ निर्धारित किया गया था, लेकिन बिक्री से संबंधित अनुमानों को देखते हुए बाद में इसे 6,000 करोड़ कर दिया गया था।

दिल्ली सरकार ने लोक निर्माण विभाग (PWD) मंत्री परवेश साहिब सिंह वर्मा की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया है, जो नई आबकारी नीति (New Excise Policy) तैयार कर रही है। अधिकारियों ने बताया कि सरकार का लक्ष्य इस नई नीति के माध्यम से आबकारी राजस्व को बढ़ाना है, जिसे वह पारदर्शी, उपभोक्ता-हितैषी और सामाजिक रूप से जिम्मेदार बनाना चाहती है। यह समिति आने वाले महीनों में नीति का मसौदा पेश कर सकती है।

समिति में किन मुद्दों पर चर्चा हुई?

सूत्रों के अनुसार, हाल ही में हुई समिति की बैठकों में शराब निर्माताओं के साथ-साथ खुदरा विक्रेताओं सहित अन्य हितधारकों के साथ कई मुद्दों पर चर्चा की गई है, जिनमें शामिल हैं:

➤स्थिर कीमतें (Stagnant prices)

➤शराब पीने की कानूनी उम्र (Legal age of drinking)

➤खुदरा व्यापार में निजी खिलाड़ियों की भूमिका (Role of private players in retail trade) निर्धारण (Pricing) संबंधी मुद्दे एक सूत्र ने बताया कि दिल्ली में 2014 से आबकारी कर दर (excise tax rate) में कोई संशोधन नहीं किया गया है, और एमआरपी (MRP) को भी आखिरी बार तीन साल पहले अपडेट किया गया था। सूत्र ने कहा कि प्रति बोतल निश्चित मार्जिन सहित शराब का मूल्य निर्धारण कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन पर नीति का मसौदा तैयार करने के हिस्से के रूप में विचार किया जा रहा है।

सूत्रों ने आगे बताया कि दिल्ली में प्रति बोतल निश्चित मार्जिन रखने से सभी प्रकार की शराब एक ही श्रेणी में आ जाती है। इससे खुदरा विक्रेता सस्ती, कम लोकप्रिय ब्रांडों को स्टॉक करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। यह स्थिति ब्रांड पुशिंग को भी बढ़ावा देती है, और इसके कारण अधिक लोकप्रिय या महंगी शराब (high end liquor) की कमी हो जाती है।