केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला श्री धरमा शास्ता मंदिर, जो भगवान अयप्पा के भक्तों का प्रमुख तीर्थस्थल है, वह फिर से एक गंभीर विवाद के केंद्र में आ गया है. दरअसल, मंदिर के गर्भगृह के दोनों ओर लगी द्वारपालक (द्वार रक्षक) मूर्तियों पर लगी सोने की चढ़ाई (गोल्ड क्लैडिंग) में कथित अनियमितताओं की शिकायतें सामने आई हैं. सोमवार को केरल हाईकोर्ट ने इस मामले में गहन जांच के आदेश दिए हैं. अदालत ने एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित की है, जो इस घोटाले की परतें खोलेगी. यह मामला मंदिर की पवित्र संपत्ति और भक्तों के विश्वास से जुड़ा होने के कारण बेहद संवेदनशील है और कोर्ट ने इसे ‘गंभीर अनियमितता’ करार दिया है.
प्लेटों को दोबारा लगाने पर 4.541 किलोग्राम कम हुआ वजन
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यह विवाद 9 सितंबर को तब उजागर हुआ जब सबरीमाला के विशेष आयुक्त ने हाईकोर्ट को एक रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में कहा गया कि द्वारपालक मूर्तियों की सोने की चढ़ाई वाली तांबे की प्लेटों को बिना अदालती अनुमति के हटाया गया और चेन्नई की एक सुविधा पर ले जाया गया. 2019 में ‘सोने की चढ़ाई’ के नाम पर इन प्लेटों को वापस लगाने के बाद इनका वजन लगभग 4.541 किलोग्राम कम हो गया था. कोर्ट ने इसे चिंताजनक बताते हुए कहा कि यह असली सोने की प्लेटों को बदलने या बेचने की साजिश का संकेत देता है.
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस वी राजा विजयराघवन और जस्टिस के वी जयकुमार की बेंच ने सबरीमाला के मुख्य सतर्कता और सुरक्षा अधिकारी (सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस) से सीधे बातचीत की. अधिकारी अदालत में व्यक्तिगत रूप से मौजूद थे. उन्होंने एक सीलबंद लिफाफे में प्रारंभिक जांच की अंतरिम रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट की समीक्षा के बाद बेंच ने निष्कर्ष निकाला कि गर्भगृह के दोनों ओर स्थित द्वारपालक मूर्तियों की सोने की चढ़ाई वाली तांबे की प्लेटों में गंभीर आरोपों की विस्तृत जांच जरूरी है. कोर्ट ने कहा कि यह मामला मंदिर की पवित्रता और भक्तों के विश्वास को धोखा देने वाला है.
मामले की जांच SIT को सौंपी गई
इस मामले की जांच के लिए अदालत ने SIT का गठन किया है, जिसका नेतृत्व लॉ एंड ऑर्डर के एडीजीपी एच वेंकटेश करेंगे. जांच का संचालन थ्रिसूर के केरल पुलिस अकादमी के असिस्टेंट डायरेक्टर (एडमिनिस्ट्रेशन) एस शशिधरन (आईपीएस) करेंगे. SIT को जांच जल्द से जल्द पूरी करने का निर्देश दिया गया है और किसी भी हाल में 6 हफ्ते के अंदर रिपोर्ट सौंपनी होगी. कोर्ट ने कहा कि जांच गोपनीय रखी जाए और रिपोर्ट सीधे अदालत को दी जाए. इसके अलावा, राज्य सरकार को तीन पुलिस अधिकारियों – इंस्पेक्टर अनीश (वकथानम पुलिस स्टेशन, कोट्टायम), इंस्पेक्टर बिजू राधाकृष्णन (कैप्पमंगालम पुलिस स्टेशन, थ्रिसूर रूरल) और असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर सुनील कुमार (साइबर पुलिस स्टेशन, थ्यकॉड, तिरुवनंतपुरम) की सेवाएं SIT को उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया है.
SIT पर होगी कई अहम जिम्मेदारियां
SIT को कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं. सबसे पहले, 2019 में सोने की चढ़ाई प्रायोजित करने वाले पुजारी से व्यापारी बने उन्निकृष्णन पोट्टी की भूमिका की जांच करनी होगी. पोट्टी ने यह काम मैकडॉवेल एंड कंपनी लिमिटेड (यूनाइटेड ब्रूवरीज ग्रुप) के फाइनेंस मैनेजर के माध्यम से प्रायोजित किया था. दूसरा, ट्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड (टीडीबी) के अधिकारियों की संलिप्तता का पता लगाना होगा. कोर्ट ने कहा कि कुछ देवास्वोम अधिकारी पोट्टी के साथ मिलकर काम करते दिखे, जो मंदिर संपत्ति की पवित्रता और भक्तों के विश्वास का अपमान है.
नहीं हो सकती सिर्फ तांबे की प्लेटें
मुख्य सतर्कता अधिकारी ने टीडीबी के सचिव को संबोधित मैकडॉवेल कंपनी के फाइनेंस मैनेजर का एक पत्र पेश किया. पत्र में सबरीमाला मंदिर में सोने की चढ़ाई के काम की डिटेल दी गई है. इसमें बताया गया कि दो द्वारपालक मूर्तियों के लिए कुल 1,564.190 ग्राम (1.564 किलोग्राम) सोना इस्तेमाल किया गया. पूरे सोने की चढ़ाई प्रोजेक्ट के लिए पारंपरिक तरीके से 30,291 ग्राम (30.291 किलोग्राम) सोना लगाया गया. कोर्ट ने इस दस्तावेज को ‘निर्णायक’ बताया. इससे साबित होता है कि देवास्वोम बोर्ड द्वारा पोट्टी को सौंपी गई द्वारपालक प्लेटें पहले से ही 1.564 किलोग्राम सोने से चढ़ी हुई थीं, और वे सिर्फ तांबे की प्लेटें नहीं हो सकतीं.
क्या बेच दी गईं असली सोने की मूर्तियां?
कोर्ट ने वजन में कमी पर गंभीर चिंता जताई है. 2019 में ‘सोने की चढ़ाई’ के बाद प्लेटों का वजन लगभग 4.5 किलोग्राम कम दर्ज किया गया. अदालत ने कहा कि यह कमी ‘अत्यंत गंभीर’ है. पहले संदेह था कि सन्निधानम (मंदिर परिसर) में लगाई गई प्लेटें दूसरी सेट की तांबे की प्लेटें हैं, लेकिन वो अब पूरी तरह उचित लगता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि असली सोने की चढ़ी द्वारपालक मूर्तियों को भारी आर्थिक लाभ के लिए बेच दिया गया हो, यह एक अलग और गंभीर संभावना है.
क्या शादी में इस्तेमाल हुआ बचा हुआ सोना?
इस मामले में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. साल 2019 में सोने की चढ़ाई दोबारा लगाने के बाद पोट्टी ने टीडीबी अध्यक्ष को एक ईमेल भेजा था. ईमेल में उन्होंने मांग की थी कि मंदिर के काम के बाद उनके पास बचा हुआ सोना एक लड़की की शादी के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए. कोर्ट ने इसे काफी विचलित करने वाला बताया. अदालत ने कहा कि यह अनियमितता की सीमा को उजागर करता है और स्पष्ट रूप से दिखाता है कि कुछ देवास्वोम अधिकारी पोट्टी के साथ सांठ-गांठ से काम कर रहे थे. इससे मंदिर की संपत्ति की पवित्रता का अपमान हुआ और भक्तों का विश्वास टूटा है.
कोर्ट ने स्ट्रॉन्ग रूम खोलने की दी अनुमति
इससे पहले, कोर्ट ने 1999 के रिकॉर्ड्स का हवाला दिया, जब द्वारपालक मूर्तियों पर सोने की चढ़ाई की अनुमति दी गई थी. पारंपरिक तरीके से बड़े पैमाने पर सोना लगाया गया था. 2019 में जब प्लेटें हटाई गईं, तो सतर्कता अधिकारी मौजूद नहीं थे. कोर्ट ने स्ट्रॉन्ग रूम खोलने की भी अनुमति दी ताकि 2019 की तस्वीरों से तुलना की जा सके और सभी विसंगतियां जांच सकें.
विपक्ष ने की देवास्वोम मंत्री से इस्तीफा देने की मांग
मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को निर्धारित की गई है. मुख्य सतर्कता अधिकारी ने बताया कि सतर्कता जांच की अंतिम रिपोर्ट तब तक दाखिल कर दी जाएगी. इस फैसले का स्वागत देवास्वोम मंत्री वी एन वासवान ने किया है. उन्होंने कहा कि सरकार 1998 (जब विजय माल्या ने सोना दान किया था) से अब तक सभी मामलों की उच्च स्तरीय जांच का समर्थन करती है. विपक्षी यूडीएफ ने विधानसभा में विरोध प्रदर्शन किया और देवास्वोम मंत्री के इस्तीफे की मांग की.
यह जांच न केवल सबरीमाला मंदिर की संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, बल्कि धार्मिक संस्थाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी सवाल खड़े करेगी. इस मामले के बाद भक्तों के बीच चिंता बढ़ गई है और सभी उम्मीद कर रहे हैं कि SIT सच्चाई सामने लाएगी.