‘ऑपरेशन सिंदूर अभी स्थगित हुआ है…’ भारतीय सेना और लीडरशिप की तरफ से पाकिस्तान को दिया गया यह मैसेज आतंकियों के दिलों में घर कर गया है. वहां झन्नाटे से चल रही आतंकियों की फैक्ट्री अब झटके खाने लगी है.
अंदर ही अंदर हाफिज सईद जैसे आकाओं के खिलाफ आतंकी काडर में गुस्सा बढ़ रहा है. इसकी वजह भी दिलचस्प है. पूरे पाकिस्तान में भारत कहीं भी निशाना लगा सकता है, इस डर से लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के टॉप लीडर सारी ताकत अपनी जान बचाने में लगा रहे हैं. उधर, आईएसआई इन आतंकी समूहों को फिर से जिंदा करने की कोशिश में लगी है लेकिन दोनों समूह कमबैक नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि उनकी लीडरशिप अंडरग्राउंड है. यह बात काडर को समझ में आ गई है कि जिहाद के नाम वे सिर्फ ‘ईंधन’ बन रहे हैं, मौज तो मसूद अजहर और हाफिज सईद जैसे लोग काट रहे हैं.
जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर भीतर से टूट चुका है क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उसका परिवार खत्म हो गया. भारतीय सशस्त्र बलों की सटीक कार्रवाई में जैश-ए-मोहम्मद का बहावलपुर मुख्यालय मलबे में तब्दील हो गया. उस जगह पर अजहर के परिवार के जो लोग भी थे, वे मारे गए. हाफिज सईद के संगठन लश्कर-ए-तैयबा को भी इस ऑपरेशन में भारी नुकसान हुआ. ऐसे में वह आज तक लड़खड़ाया पड़ा है. सईद खुद छिप गया है और भारतीय खुफिया अधिकारियों की मानें तो उसे डर है कि कोई उसे खत्म करने की कोशिश कर सकता है.
तुम तो गायब, हमें क्यों छोड़ा?
ऑपरेशन सिंदूर के बाद दोनों आतंकी संगठनों में गुस्सा बढ़ रहा है. संगठनों में कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि उन्हें खुला क्यों छोड़ दिया गया जबकि उनके चीफ को आईएसआई या पाकिस्तानी सेना से सीधे सुरक्षा मिल रही है. वे ऑपरेशन के बाद अपने सरगना की चुप्पी पर भी सवाल उठा रहे हैं. कई लोगों को लगता है कि सईद और अजहर जैसे लोग सिर्फ अपने और अपने परिवार के बारे में सोचते हैं. जब बात अपने गुर्गों की आती है, तो वे उनका ख्याल नहीं रखते.
क्या जिहाद सिर्फ हमारे लिए है?
आतंकी संगठनों के कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या जिहाद और मौत सिर्फ उनके लिए ही है, उनके सरगना के लिए नहीं. एक तरह से वे सवाल कर रहे हैं कि अब कहां गया जिहाद? वे लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेशनल कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी का उदाहरण देकर पूछ रहे हैं, जो अब भी उच्च सुरक्षा वाले ठिकानों पर रह रहा है.
लखवी कई साल से सीन से गायब है. ऐसे में आतंकियों का काडर पूछ रहा है कि लीडर कहां गायब है? जैश-ए-मोहम्मद के मामले में अजहर के परिवार को खोने के बाद सपोर्टर शुरू में तो जोश में थे लेकिन काफी समय से वह दिखा नहीं तो सब निराश हो गए. अब यह एहसास होने लगा है कि अजहर के जिन वीडियो को ताजा बताकर फैलाया जा रहा है, वे असल में पुराने हैं. अधिकारियों का कहना है कि इन सभी घटनाओं ने आतंकियों में भारी असंतोष पैदा कर दिया है.
तालिबान से भिड़ने पर नाराज
ऑपरेशन सिंदूर ने जहां इन दोनों संगठनों की कमर तोड़ दी, वहीं अफगानिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा के घटनाक्रम ने भी आतंकी जमात को नाराज कर दिया है. सभी जानते हैं कि लश्कर और जैश दोनों सेना या आईएसआई के इशारे पर चलते हैं. ज्यादातर आतंकी समझ नहीं पा रहे हैं कि ये दोनों संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान या अफगान तालिबान को लेकर पाकिस्तान सरकार के रुख पर चुप क्यों हैं.
अफगानिस्तान में हवाई हमले और टीटीपी के खिलाफ लड़ाई आतंकी समूहों को ठीक नहीं लगी. वे तालिबान से लड़ने के औचित्य पर ही सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि हमें तो भारत और पश्चिमी ताकतों के खिलाफ लड़ना था लेकिन शहबाज शरीफ और आसिम मुनीर ट्रंप की जय-जयकार करने में व्यस्त हैं.



