कर्नाटक की राजनीति में इन दिनों सत्ता को लेकर जबरदस्त संघर्ष चल रहा है. क्या सिद्धारमैया राज्य के सीएम बने रहेंगे या उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार को प्रमोट कर सीएम बनाया जाएगा, इसे लेकर अटकलें लगातार तेज हो रही हैं.
कांग्रेस में चल रही इस खींचतान पर बीजेपी भी व्यंग्य बाण छोड़ने में पीछे नहीं है. पार्टी ने कांग्रेस सरकार पर व्यंग्यात्मक हमला बोलते हुए पारंपरिक ‘पैरट फॉर्च्यून टेलिंग’ का अनोखा तरीका अपनाया. इसमें तोते से भविष्यवाणी करवाकर किसी व्यक्ति का कथित भविष्य जानने की कोशिश की जाती है.
सिद्धारमैया या DKS में कौन बनेगा सीएम?
बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मांड्या में सड़क किनारे बैठे एक भविष्यवक्ता और उसके तोते के जरिए एक राजनीतिक नाटक रचा, जिसका वीडियो बाद में वायरल हो गया. वीडियो में कुछ भाजपा कार्यकर्ता तोते से यह ‘भविष्यवाणी’ कराते दिख रहे कि कर्नाटक का भविष्य किसके हाथ में बेहतर रहेगा – सिद्धारमैया या डी.के. शिवकुमार के.
इसके लिए उन्होंने तोते के सामने दो कार्ड रखे, जिसमें से एक का उसे चयन करना था. फिर तोते ने ‘चम्बू’ (एक पारंपरिक धातु का बर्तन जिसमें पानी रखा जाता है) वाला कार्ड चुना. इसके बाद जब पूछा गया कि क्या डी.के. शिवकुमार अगले मुख्यमंत्री बनेंगे, तो तोते ने ‘फूल’ वाला कार्ड चुना.
‘कांग्रेस सरकार ने जनता के हाथ में ‘खाली चम्बू’ थमाया’
इस प्रतीकात्मक चयन के बहाने BJP ने कांग्रेस पर तीखा व्यंग्य कसा. पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना था कि कांग्रेस सरकार ने जनता के हाथ में ‘खाली चम्बू’ थमा दिया है’ और ‘फूलों से कान भर दिए हैं’. उनके कहने का मतलब ये था कि जनता को केवल भ्रमित किया गया है और उसे वास्तविक विकास या स्थिरता नहीं मिली. यह टिप्पणी कांग्रेस में सत्ता को लेकर चल रही अंदरूनी खींचतान पर तीखा तंज था.
उधर सत्ता संघर्ष में डी.के. शिवकुमार पूरी ताकत से मैदान में डटे हुए हैं. बागलकोट में उनके समर्थकों ने अपने नेता के समर्थन में बिल्कुल अलग ही रणनीति अपनाई. उन्होंने अपने नेता के लिए विशेष पूजा का आयोजन किया. इसके लिए डी.के. शिवकुमार की तस्वीर को मंदिर में रखकर उनके जल्द ही मुख्यमंत्री बनने की कामना की.
दोनों के बीच सत्ता को लेकर चल रही खींचतान
बताते चलें कि डी. शिवकुमार समर्थक कहते आए हैं कि पिछले चुनावों से पहले सिद्धारमैया और डीके के बीच में समझौता हुआ था कि दोनों के बीच सत्ता ढाई-ढाई साल के लिए बंटेगी. वहीं सिद्धारमैया लगातार इस बात पर अड़े हैं कि वे अपना कार्यकाल पूरा करेंगे, चाहे DKS गुट कितनी भी बार नेतृत्व परिवर्तन की मांग करे.
कुल मिलाकर, कर्नाटक की राजनीति इस समय तोते की चुनी हुई भविष्यवाणियों की तरह ही अनिश्चित और दिलचस्प मोड़ पर खड़ी है. सत्ता की कुर्सी आखिर किसके हाथ में जाएगी, यह फिलहाल राज्य की सबसे बड़ी राजनीतिक पहेली बनी हुई है.



