भारत में लगातार तूफानों की संख्या बढ़ती जा रही है जिसकी वजह से जान और माल का काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। लेकिन अब इन आने वाले भयंकर तूफानों के कारणों का खुलासा हो चुका है जो चौंकाने वाला है। हाल ही में गुजरात में ‘महा’ तूफान आया था जिसके तुरंत बाद ‘बुलबुल’ तूफान आया और पश्चिम बंगाल और ओडिशा के तटीय इलाकों भारी तबाही मचाकर चला गया। इस तूफान से बंगाल में लगभग 7 लोगों की जान चली गई और फसलों का काफी नुकसान हुआ। आपको बता दें कि इससे पहले इसी साल अप्रैल-मई में ओडिशा में ‘फोनी’ तूफान आया था।
भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक पिछले पांच सालों में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में तूफानों की घटनाओं में 32 फीसदी का इजाफा हुआ जो एक खतरे की घंटी है। मौसम विभाग के अनुसार 2018 और साल 2019 में देश में 7-7 तूफान आए। इससे पहले साल 1985 में इतने तूफान आए थे। वहीं, 2018 और 2019 में कुल 6-6 भयंकर चक्रवाती तूफान आए।
इससे पहले 1976 में एक ही साल में 7 भयंकर तूफान आए थे। मौसम विभाग के अनुसार पिछले एक दशक में भारत में हर साल औसतन 4 तूफान आए हैं। जबकि पिछले पांच सालों में औसतन 5 तूफानों आए हैं।
मौसम विभाग के अनुसार पिछले पांच सालों में भारत में तूफानों की संख्या और उनकी भयावहता दोनों बढ़ी है। इनकी वजह से काफी जान-माल का नुकसान हुआ है। इसी साल भारत में पाबुक, फोनी, वायु, क्यार और बुलबुल जैसे भयंकर तूफान आकर तबाही मचा चुके हैं। देश में तूफानों की संख्या में ऐसी बढ़ोतरी ग्लोबल वॉर्मिंग के घातक दुष्परिणामों की ओर इशारा करती है।
हालांकि भारत के पश्चिमी तट पर पूर्वी तट की तुलना में कम चक्रवाती तूफान आते हैं। बताया गया हैकि बंगाल की खाड़ी की तुलना में अरब सागर की तुलना में चार गुना ज्यादा चक्रवाती तूफान आते हैं। वहीं, अरब सागर से आने वाले सिर्फ 25 फीसदी चक्रवाती तूफान ही तट की ओर जाते हैं, जबकि बंगाल की खाड़ी पर बनने वाले 58 फीसदी तूफान तट को छूते हैं।
आपको बता दें कि पिछले महीने जारी यूनाइटेड नेशन्स इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज रिपोर्ट में कहा गया कि ग्लोबल वॉर्मिंग और समुद्र की सतह के बढ़ते तापमान के कारण अरब सागर में और भी ज्यादा चक्रवात आ सकते हैं।