दिल्ली में मॉनसून (Monsoon) के दौरान वाटर लॉगिंग (Water Logging) की समस्या से निपटने के लिये केजरीवाल सरकार (Kejriwal Government) आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi) के साथ मिलकर स्थाई समाधान निकालने की कोशिश में जुटी हुई है. हल्की बारिश में ही दिल्ली के इलाकों में वाटर लॉगिंग की भीषण समस्या सामने आती रही है.
ऐसे में अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस समस्या से दिल्ली को छुटकारा दिलाने के लिये आईआईटी दिल्ली से मिले सुझावों पर योजना तैयार करवा रहे हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की अध्यक्षता में आज दिल्ली सचिवालय में दिल्ली ड्रेनेज मास्टर प्लान-2021 (Delhi Drainage Master Plan-2021) को लेकर एक अहम रिव्यू मीटिंग भी आयोजित की गई जिसमें इस समस्या के समाधान के लिये रोड मैप पेश किया गया.
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में साफ हुआ है कि दिल्ली में भारी बारिश के दौरान होने वाले जल भराव की समस्या बहुत जल्द दूर कर दी जाएगी. इसके लिए हर नाली और नाले में जरूरी बदलाव किए जाएंगे. आईआईटी दिल्ली की ओर से दिए गए सुझावों के मुताबिक नालियों में बदलाव किए जाएंगे, ताकि भारी बारिश के दौरान भी पानी की बेहतर निकासी हो सके और जल भराव की समस्या दूर की जा सके.
दिल्ली में किस नाली का स्लोप खराब है, कौन-सी नाली कहां मिलती है और किस नाली को किस नाले से जोड़ना है, उसके लिए हर नाली और नाले का अलग-अलग प्रोजेक्ट बनेगा. संबंधित अधिकारियों को इसका पूरा प्लान जल्द से जल्द बनाने के निर्देश दिए गए हैं. इसके लिए कंसल्टेंट हायर किए जाएंगे, जो प्रत्येक नाली और नाले का प्लान और प्रोजेक्ट रिपोर्ट्स बनाएंगे, ताकि इसको शीघ्र लागू किया जा सके. मीटिंग में जलमंत्री सत्येंद्र जैन, डीजेबी के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा और मुख्य सचिव विजय कुमार देव समेत जल बोर्ड और अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी प्रमुख रूप से मौजूद रहे.
इस दौरान अधिकारियों ने भारी बारिश के दौरान होने वाले जल भराव के कारणों पर प्रकाश डाला और नाले व नालियों में जरूरी बदलाव का सुझाव दिया. जिस पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रत्येक नाली और नाले में जल भराव की समस्या को दूर करने को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए.
दिल्ली ड्रेनेज मास्टर प्लान में की ये की गईं सिफारिशें
– बरसाती पानी की नालियों पर अतिक्रमण न हो.
– बरसाती पानी की नालियों में सीवेज न जाए.
– बरसाती पानी की नालियों में कोई ठोस अपशिष्ट या सीएंडडी अपशिष्ट जाने की अनुमति नहीं दी जाए.
– बरसाती नालों की डी-सिल्टिंग की प्रभावशीलता व डी-सिल्टिंग कार्यक्रम का सार्वजनिक प्रदर्शन.
– कोई बरसाती पानी सीवर सिस्टम में नहीं बहाया जाना चाहिए.
– किसी भी बरसाती पानी की नालियों के अंदर निर्माण की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। एलिवेटेड रोड, मेट्रो की उपयोगिताओं और खंभों को बरसाती पानी की नालियों के अंदर अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
– बरसाती पानी के नए नालों का डिजाइन अलग से नहीं किया जाना चाहिए.
– कम प्रभाव विकास (एलआईडी) विकल्प, जहां भी संभव हो, जैसे नालियों के संबंधित जलग्रहण क्षेत्रों में गड्ढे, वर्षा उद्यान, जैव-प्रतिधारण तालाब, जैव-स्वाल आदि करना.
– बाढ़ प्रबंधन में सुधार के लिए सेंसर का उपयोग कर बाढ़ की निगरानी करना.