एयर प्यूरीफायर हवा को साफ करने वाले फिल्टर्स का सेट होता है. इसका फिल्टर जाम होता है यानी रुकता भी है. एक महीने तक एयर प्यूरीफायर चलने के बाद इसमें फंसी गंदगी देख सकते हैं. ये वहीं गंदगी होगी जो सांस के साथ फेफड़ों में जाती. कमरा कितना बड़ा है, प्यूरीफायर इसी आधार पर हवा साफ करता है. जिसमें 15 से 30 मिनट लग जाते हैं.
प्यूरीफायर में सब मशीन के फिल्टर पर निर्भर है. ये हवा में मौजूद पर्टिकुलेट मैटर और पोलन को खत्म करता है, उसी से हवा साफ होती है. सभी प्यूरीफायर्स फिल्टर के साथ ही आते हैं.
प्यूरीफायर्स में चार तरह के फिल्टर होते हैं-
हेपा फिल्टर
कार्बन फिल्टर
Ionic जनरेटर
अल्ट्रा वॉयलैट रेडिएशन (UV)
ये गंध भी खत्म करते हैं
एक्टिवेटिड कार्बन फिल्टर और HEPA-फिल्टर अंतरराष्ट्रीय मानक हैं. ये कणों के साथ-साथ गंध भी खत्म करते हैं. प्री-फिल्टर वाला प्यूरीफायर HEPA-फिल्टर की उम्र बढ़ा देता है. हवा में PM 2.5 और PM10 के साथ टन धूल, एलर्जी पैदा करने वाले तत्व होते है.
HEPA एक तरह मेकैनिकल एयर फिल्टर होता है. जो दूषित तत्वों को अपनी ओर खींचता है. एक सही HEPA फिल्टर 99.97 फीसदी डस्ट पर पकड़ रखता है. डस्ट का एक कण 0.3 microns में मापा जाता है. ये फिल्टर, डस्ट के साथ-साथ बैड बैक्टीरिया और वायरस को भी कैद करता है. इस फिल्टर से बने प्यूरीफायर में दो बुनियादी चीजें होती हैं, एक HEPA फिल्टर और दूसरा पंखा.
IONIC फिल्टर एयर क्लीनिंग टेक्नोलॉजी युक्त होता है. वे हवा में मौजूद दूषित तत्वों को इलैक्ट्रिकल सरफेस से ऑपरेट करते हैं. इसके प्रोसेस से 0.01 microns के साइज के कणों को भी खत्म करता है.
एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर को चारकोल एयर फिल्टर भी कहा जाता है. इस फिल्टर में ऐसे एक्टिवेटेड कार्बन का इस्तेमाल किया जाता है जो सैकड़ों दूषित तत्वों को एबज़ोर्ब करता है. जिसमें कैमिकल्स, हार्मफुल गैस, odor, VOCs शामिल हैं. इन फिल्टर्स जल्दी बदलना होता है.