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भाजपा ने MP में 39 और CG में 21 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की।

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मध्य प्रदेश में 39 और छत्तीसगढ़ में 21 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की। ये पहली बार है जब भाजपा ने चुनावों से तीन महीने पहले किसी राज्य में उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है।

यहां रोचक बात ये है कि दोनों राज्यों में पार्टी ने उन्हीं सीटों को शामिल किया है जो वह पिछले चुनाव में हार गई थी। भाजपा ने उन सीटों पर अपना ध्यान केंद्रित किया है जिनपर उसे 2018 और 2013 के चुनावों में हार मिली थी।

21 आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र शामिल

मध्य प्रदेश की लिस्ट में 21 आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र शामिल हैं। इनमें 13 अनुसूचित जनजाति (एसटी) सीटें और आठ अनुसूचित जाति (एससी) की सीटें हैं। रणनीति में बदलाव के तहत मध्य प्रदेश में सत्तारुढ़ भाजपा ने विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से पहले ही पांच महिलाओं सहित 39 प्रत्याशियों की अपनी पहली सूची जारी कर दी है और इस प्रकार वह चुनावी तैयारियों और प्रत्याशियों को तय करने के मामले में वह अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस से आगे निकल गई है। मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में 230 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव होने हैं।

2018 में, कांग्रेस ने 230 सदस्यीय विधानसभा में 114 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा ने 109 सीटें जीती थीं। भाजपा ने एसटी सीटों पर अपने खराब प्रदर्शन को एक कारण बताया था। जहां कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के रूप में कमल नाथ के साथ सरकार बनाई थी, लेकिन बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में चले जाने से वह सत्ता से बेदखल हो गई। निवर्तमान सदन में भाजपा के पास 126 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 96 विधायक हैं।

एसटी और महिलाओं पर भाजपा का फोकस

सत्ता में लौटने के बाद से, भाजपा ने एसटी और महिलाओं के लिए योजनाएं देने पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसके बारे में उसने कहा है कि यह आगामी चुनावों में गेमचेंजर साबित होगा। यह पूछे जाने पर कि भाजपा ने अपनी पहली सूची इतनी जल्दी क्यों घोषित की, राज्य भाजपा सचिव रजनीश अग्रवाल ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “कुछ चुनौतीपूर्ण सीटों पर हार के बाद से हम अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की दिशा में काम कर रहे हैं। हमने उम्मीदवारों की घोषणा जल्दी कर दी क्योंकि इन सीटों पर कई उम्मीदवार उभरकर सामने आ रहे हैं… हमने स्पष्टता और अंदरूनी कलह को रोकने के लिए सूची की घोषणा की। सीटों की इस लड़ाई से जल्द ही निपट लिया जाएगा।”

हारे हुए उम्मीदवारों को दिया टिकट

मध्य प्रदेश में भाजपा विभिन्न गुटों के बीच अंदरूनी कलह से जूझ रही है, जिसके कारण पार्टी के अभियान में गृह मंत्री अमित शाह की सीधी भागीदारी हो रही है। पार्टी शिवराज सिंह चौहान के लंबे कार्यकाल के कारण पैदा हुई “थकान” से भी जूझ रही है, जो पहली बार 2003 में मुख्यमंत्री बने थे। बीजेपी की सूची में कुछ पूर्व विधायक भी शामिल हैं जो पिछला चुनाव हार गए थे या फिर उन्हें मैदान में नहीं उतारा गया था। इनमें गोहद से पार्टी के अनुसूचित जाति (एससी) मोर्चा के प्रमुख लाल सिंह आर्य भी शामिल हैं। छतरपुर से राज्य पार्टी उपाध्यक्ष ललिता यादव; राऊ से मधु वर्मा; पेटलावद से निर्मला भूरिया; कसरावद से आत्माराम पटेल; पथरिया से लखन पटेल; गुन्नौर से राजेश वर्मा; चित्रकूट से सुरेंद्र सिंह गहरवार; शाहपुरा से ओमप्रकाश धुर्वे; सौंसर से नानाभाऊ मोहोड़; महेश्वर से राजकुमार मेव; सुमावली से एदल सिंह कंसाना का नाम शामिल है। गुरुवार सुबह आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देने वाले राजकुमार कर्रहे को लांजी निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा गया है। यह पूछे जाने पर कि पिछले चुनावों में हारने वाले उम्मीदवारों को क्यों मैदान में उतारा गया, अग्रवाल ने कहा, “हमें किसी राजनेता को सिर्फ इसलिए खारिज नहीं करना चाहिए क्योंकि वह चुनाव हार गया, अन्यथा राजनीति में कई शीर्ष नेता मौजूद नहीं होते। यह कोई मुद्दा नहीं है।”

मयावती भी कर चुकी हैं ऐलान

पिछले सप्ताह मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने सात उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की थी। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की सूची सबसे पहले बसपा में ही जारी की थी। हालांकि, मध्य प्रदेश की राजनीति भाजपा और कांग्रेस के बीच द्विध्रुवीय मानी जाती है, जबकि बसपा और सपा सहित अन्य दल प्रदेश में सीमांत खिलाड़ी के तौर पर देखे जाते हैं। भाजपा ने जिन 39 सीट के लिए उम्मीदवार घोषित किये हैं उनमें से 38 सीट पर वर्तमान में कांग्रेस तथा एक सीट पर (पथरिया से बसपा विधायक रामबाई) बसपा का कब्जा है। इन 39 विधानसभा सीटों में से भाजपा 2013 में भी कुछ सीटें जीतने में असफल रही थी।